Khurja temple dispute: खुर्जा के सलमा हकन मोहल्ले में दशकों से बंद पड़े मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर विवाद फिर से तूल पकड़ रहा है। यह मंदिर, जिसे जाटव समुदाय ने लगभग 50 साल पहले बनवाया था, 1990 के Khurja सांप्रदायिक दंगों के बाद वीरान हो गया था। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और जाटव विकास मंच ने मंदिर की सफाई और धार्मिक गतिविधियां फिर से शुरू करने के लिए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। एसडीएम दुर्गेश सिंह ने स्पष्ट किया है कि मंदिर का ढांचा अब भी बरकरार है और स्थल को लेकर कोई विवाद नहीं है। इस मामले के सामने आने के बाद संभल और वाराणसी में भी पुराने मंदिरों की स्थिति पर चर्चा हो रही है।
तीन दशक से वीरान पड़ा मंदिर
जाटव समुदाय द्वारा बनवाया गया यह मंदिर 1990 के बाद से बंद पड़ा है। दंगों के चलते इस क्षेत्र में रहने वाले हिंदू परिवार पलायन कर गए थे। जाटव विकास मंच के अध्यक्ष कैलाश भागमल गौतम के अनुसार, मंदिर की मूर्तियों को समुदाय के एक परिवार ने नदी में विसर्जित कर दिया था। अब मंच और VHP ने मिलकर मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू करने का औपचारिक अनुरोध किया है।
प्रशासन से की गई अपील
VHP मेरठ इकाई के पदाधिकारी सुनील सोलंकी ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए मंदिर की सफाई और सौंदर्यीकरण की मांग की है। सोलंकी का कहना है कि 1990 से बंद पड़े इस मंदिर को पुनर्जीवित करना आवश्यक है ताकि सुचारू रूप से धार्मिक गतिविधियां शुरू हो सकें। एसडीएम दुर्गेश सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और प्रशासन का प्रयास है कि धार्मिक स्थल को विवाद से बचाया जा सके।
पुराने मंदिरों पर बढ़ा ध्यान
Khurja का यह मामला तब सामने आया है जब संभल प्रशासन ने 1978 के दंगों के बाद बंद पड़े एक मंदिर को हाल ही में फिर से खोल दिया। इसी प्रकार, वाराणसी के मदनपुरा क्षेत्र में 250 साल पुराना एक मंदिर मिला है, जिसे एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी संपत्ति बताया है। इन घटनाओं ने पुराने मंदिरों के संरक्षण और धार्मिक गतिविधियों की बहाली पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है। खुर्जा का यह मंदिर स्थानीय सांप्रदायिक इतिहास का एक प्रतीक है। प्रशासन और संगठनों के प्रयास से यह मंदिर फिर से धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बन सकता है।