Lakhimpur Kheri में ‘कथा का खेल’! ब्राह्मण बनकर कथा सुनाते मौर्य समाज के बाबा, मंच पर मंगवाई माफी – वीडियो ने मचाया बवाल

लखीमपुर खीरी में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान बड़ा बवाल खड़ा हो गया। ब्राह्मण बनकर कथा करने वाले कथावाचक की असलियत सामने आते ही ग्रामीण भड़क उठे और मंच से माफी मंगवाई। वायरल वीडियो से मामला गरमा गया।

Lakhimpur Kheri

Lakhimpur Kheri News: लखीमपुर खीरी में एक बार फिर इटावा जैसा मामला सामने आया है, जहां कथा सुनाने वाले कथावाचक को अपनी जाति छिपाने के आरोप में मंच से ही माफी मांगनी पड़ी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में कथावाचक ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने मौर्य समाज से होने के बावजूद ब्राह्मण बताकर कथा की। यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है और लोगों की धार्मिक भावनाओं को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इससे पहले इटावा जिले में भी कथावाचकों को उनकी जाति उजागर होने पर अपमानित किया गया था। लगातार सामने आ रहे ऐसे मामलों ने समाज में धार्मिक आयोजनों में जातिगत भेदभाव पर बहस को तेज कर दिया है।

लखीमपुर खीरी का मामला

Lakhimpur Kheri के खमरिया कस्बे स्थित राम जानकी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन चल रहा था। ग्रामीण प्रतिदिन बड़ी संख्या में कथा सुनने पहुंच रहे थे। इसी दौरान लोगों को भनक लगी कि कथावाचक बाबा ब्राह्मण नहीं बल्कि किसी और जाति से हैं। यह जानकारी फैलते ही ग्रामीणों का गुस्सा भड़क गया और उन्होंने कथा रोक दी।

ग्रामीणों के दबाव में कथावाचक ने मंच से माफी मांगी। उन्होंने अपना नाम पारस मौर्य बताया और कहा कि वे मौर्य वंश से हैं। पारस मौर्य ने स्वीकार किया कि उन्होंने जाति छिपाकर कथा सुनाई, जिससे अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो वे क्षमा प्रार्थी हैं।

वायरल वीडियो और जयकारे

घटना का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि पारस मौर्य हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं और वहां मौजूद भीड़ “जय श्रीराम” और अन्य भगवानों के जयकारे लगाती है। इस घटना ने क्षेत्र में तीखी प्रतिक्रिया पैदा की है।

इटावा में भी हुआ था विवाद

इससे पहले जून में इटावा जिले के दादरपुर गांव में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान दो कथावाचकों मुकुट मणि सिंह यादव और संत सिंह यादव को भी जाति छिपाने के आरोप में भीड़ ने पीटा था। इतना ही नहीं, उनका मुंडन भी कर दिया गया था। उस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था और तब भी मामला देशभर में चर्चा का विषय बना था।

Lakhimpur Kheri की यह ताजा घटना इटावा की याद दिला रही है और यह सवाल खड़ा कर रही है कि क्या कथा जैसे धार्मिक आयोजनों में कथावाचकों की जाति पर सवाल उठना समाज के लिए सही दिशा है या फिर यह भेदभाव को और गहरा कर रहा है।

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