Land Scam in Jansath Tehsil:मुजफ्फरनगर जनपद की जानसठ तहसील में 750 बीघा सरकारी जमीन को गलत तरीके से निजी नाम पर दर्ज किए जाने का बड़ा मामला सामने आया है। इस पूरे प्रकरण में एसडीएम जयेंद्र सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी जमीन को किसानों के नाम कर अरबों रुपये का नुकसान कराया। भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी ने भी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने जांच कराई, जिसमें प्रथम दृष्टया गड़बड़ी साबित हुई। इस कार्रवाई से राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया है।
डेरावाल कॉर्पोरेटिव फार्मिंग सोसायटी की जमीन
यह मामला गांव इसहाकवाला से जुड़ा है। यहाँ 1962 में डेरावाल कॉर्पोरेटिव फार्मिंग सोसायटी की स्थापना हुई थी। सोसायटी के पास लगभग 900 बीघा जमीन थी। वर्षों से इस जमीन को लेकर विवाद चला आ रहा था। सोसायटी के सदस्य जीवन दास के बेटे गुलशन और हरबंस के पोते के बीच झगड़ा था। 1972 में हरबंस अलग हो गए थे। साल 2018 में तहसील प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया कि हरबंस का इस जमीन से कोई संबंध नहीं है। इसके बावजूद मार्च 2024 में एसडीएम जयेंद्र सिंह ने फिर से मामले की सुनवाई शुरू कर दी।
रातों-रात आदेश बदल कर जमीन की दर्ज
19 जुलाई 2025 को जयेंद्र सिंह ने अचानक आदेश देकर 600 बीघा सोसायटी की और 150 बीघा सरकारी जमीन हरबंस के नाम कर दी। जब सोसायटी सदस्य गुलशन को इस बारे में जानकारी हुई, तो उन्होंने अपने बेटे ईशान के साथ 29 जुलाई को डीएम उमेश मिश्रा से शिकायत की। डीएम ने तुरंत एडीएम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई। इसके बाद एसडीएम ने अपने आदेश को रातों-रात वापस ले लिया। जांच में पाया गया कि जमीन को गलत तरीके से निजी नाम पर दर्ज किया गया था।
हाईवे के सामने की जमीन, विवाद का केंद्र
यह जमीन हाईवे के बिल्कुल सामने है, जिस पर पहले ही मुआवजे को लेकर विवाद चल रहा था। हाईकोर्ट ने पहले ही इस जमीन को सरकारी मानते हुए मुआवजा देने से इनकार कर दिया था। इसके बावजूद एसडीएम ने वही जमीन कागजों में निजी नाम पर दर्ज कर दी। जांच रिपोर्ट में दोष पाया गया, जिसके बाद शासन ने जिलाधिकारी की सिफारिश पर एसडीएम जयेंद्र सिंह को सस्पेंड कर दिया।
प्रशासन की सख्ती से मचा हड़कंप
इस कार्रवाई से पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है। अधिकारियों में भी डर का माहौल है कि गलत काम करने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा। यह मामला दर्शाता है कि सरकारी जमीन की सुरक्षा कितनी जरूरी है और भ्रष्टाचार पर प्रशासन कितना सख्त हो सकता है।