प्रयागराज में महाकुंभ के लिए तैयार की जा रही यह रंगोली, किसी कला के उत्कृष्ट उदाहरण से कम नहीं होगी। इस रंगोली को कुशल कलाकारों और स्वयंसेवकों की एक टीम द्वारा तैयार किया जा रहा है, जो अपनी कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति को जीवंत करेंगे। इसमें आध्यात्मिकता, एकता और भक्ति के विषयों को चित्रित किया जाएगा, जो महाकुंभ के पवित्र और दिव्य वातावरण के साथ मेल खाता है। रंगोली में प्रयुक्त रंग प्राकृतिक और पर्यावरण-friendly होंगे, जिससे गंगा नदी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।
आध्यात्मिकता और संस्कृति का संगम
यह रंगोली Maha Kumbh के धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल को और भी प्रभावी रूप से व्यक्त करने का एक प्रयास है। महाकुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है, जो भारत की विविधता और धरोहर को दर्शाता है। इस बार के महाकुंभ मेले में प्रयागराज की प्रमुख सड़कों और चौराहों पर 26 जटिल नक्काशीदार मूर्तियां स्थापित की जाएंगी, जो भारतीय पौराणिक कथाओं के महत्वपूर्ण पात्रों को चित्रित करती हैं। इनमें अर्जुन, गरुड़, नंदी, ऐरावत और देवी गंगा जैसी मूर्तियां प्रमुख आकर्षण के रूप में शामिल होंगी।
Maha Kumbh मेले के आयोजकों ने इस बार पर्यावरण की सुरक्षा को भी प्रमुख ध्यान में रखा है। आयोजकों का यह प्रयास है कि सभी सजावट और रंग-रोगन में कोई भी ऐसी सामग्री का उपयोग न हो, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो। रंगोली के अलावा, गंगा आरती और अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी इस मेले का हिस्सा होंगे, जो इस आयोजन को और भी भव्य और यादगार बना देंगे।