यूपी का IAS परिवार, 2 बेटों के बाद बहु ने भी किया कमाल, बनी मुख्य-सचिव, जानिए कौन हैं अलका तिवारी

महोबा के तिवारी परिवार की बहू IAS अलका तिवारी हाल ही में झारखंड की मुख्य सचिव बनी हैं, जिससे परिवार में चार सदस्य IAS बन चुके हैं। इस उपलब्धि से महोबा का नाम फिर से रोशन हुआ है और यह प्रशासनिक क्षेत्र में उत्कृष्टता का एक नया उदाहरण प्रस्तुत करता है।

IAS Alka Tiwari: उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक क्षेत्र में उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहे महोबा के तिवारी परिवार की बहू, IAS अलका तिवारी, हाल ही में झारखंड की मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त की गई हैं। यह परिवार अपने चार सदस्यों के साथ एक अनोखा कीर्तिमान स्थापित करता है, जिसमें दो सदस्य पहले ही मुख्य सचिव बन चुके हैं। अलका तिवारी की यह उपलब्धि न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे महोबा क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। इस परिवार में सभी सदस्य उच्च शिक्षा और प्रशासनिक सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। आइए, जानते हैं इस परिवार के बारे में और अलका तिवारी की पृष्ठभूमि के बारे में।

परिवार की गौरवमयी विरासत

महोबा के प्रसाद तिवारी के तीन बेटे हैं, जिनमें से IAS राजेंद्र कुमार तिवारी उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके हैं, जबकि IAS देवेंद्र कुमार तिवारी झारखंड के मुख्य सचिव रहे हैं। अब, उनकी बहू IAS Alka Tiwari ने इस परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए झारखंड की मुख्य सचिव का पद संभाला है। देवेंद्र तिवारी, जो 1986 बैच के अधिकारी हैं, अब रिटायर हो चुके हैं, जबकि उनके तीसरे बेटे IAS धीरेन्द्र कुमार तिवारी पंजाब कैडर में अपर मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत हैं और उनकी मुख्य सचिव बनने की संभावना भी जताई जा रही है।

IAS Alka Tiwari

एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व

IAS Alka Tiwari की शैक्षणिक उपलब्धियाँ उन्हें अन्य अधिकारियों से अलग बनाती हैं। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और इस उत्कृष्टता के लिए राज्यपाल का स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके अलावा, अलका ने मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से सिविल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में एमएससी की पढ़ाई की, जिसमें उन्हें शीर्ष स्थान पर रहने के लिए स्वर्ण पदक मिला। वे रांची विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट भी हैं और हार्वर्ड तथा ड्यूक विश्वविद्यालय से वित्तीय प्रबंधन के विशेष पाठ्यक्रम कर चुकी हैं। उनकी यह विविधता और विद्या उन्हें प्रशासनिक सेवा में एक प्रभावी नेता बनाती है।

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जौनपुर का प्रशासनिक इतिहास

इस बीच, जौनपुर के माधव पट्टी गांव ने भी अपने प्रशासनिक योगदान से पहचान बनाई है। यहां से 50 से अधिक प्रशासनिक अधिकारी निकल चुके हैं, जो देशभर में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। इस गांव से डॉ. इंदुप्रकाश, जो 1952 में पहले IAS बने थे, से लेकर कई अन्य प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने देश की सेवा की है। इस तरह की उपलब्धियों ने महोबा और जौनपुर के प्रशासनिक योगदान को और भी गौरवान्वित किया है।

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