कानपुर ऑनलाइन डेस्क। महाकुंभ के आगाज के साथ मंगलवार को पूरे देश में मकर संक्रांति का पर्व बड़े धूमघाम के साथ मनाया जा रहा है। कानपुर के सभी गंगा घाटों पर सुबह से भक्तों का जनसैलाब उमड़ा है। बिठूर से लेकर परमठ में भक्त मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्ण कमा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इसबार करीब 10 लाख भक्त मकर संक्रांति पर गंगा स्नान में भाग लेंगे। जिसको लेकर पुख्ता तैयारियां की गई हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और सूर्य देव की उपासना करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन पवित्र स्नान करने से भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसलिए इसे मकर संक्रांति पर्व कहा जाता है
सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर्व बहुत खास माना जाता है। विद्धान बताते हैं कि इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। विद्धान बताते हैं, इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित बलराम तिवारी बताते हैं कि मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्ण मिलता है। खिचड़ी दान करने का भी विशेष महत्व है। बलराम तिवारी बताते हैं कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी के प्रसाद का वितरण करना चाहिए। जो भी भक्त खिचड़ी का वितरण करता है, उसके घर पर कभी बीमारी नहीं आती और धन की कमी नहीं होती।
जानें स्नान और पूजन का समय
पंडित बलराम तिवारी बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करना व दान करना बहुत ही शुभ व फलदायी माना गया है। पंडित बलराम तिवारी बताते हैं कि पंचांग के मुताबिक, 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 3 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। गंगा में स्नान के बाद भक्त भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें, जिससे शुभ फल प्राप्त होगा। पंडित बलराम तिवारी बताते हैं कि संक्रांति तिथि के दिन गंगा, जमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और उन्हें मृत्यु के बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
पवित्र नदियों में करें स्नान
पंडित बलराम तिवारी आगे बताते हैं, इस विशेष दिन पर पवित्र स्नान करने से जीवन में आ रही कई प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसके साथ मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी के किनारे पिंड दान, तर्पण या श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जिन जातकों को पितृ दोष के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें भी लाभ मिलता है। पंडित बलराम तिवारी बताते हैं कि 144 वर्ष के बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है। सबसे बड़ी बात है कि आज के ही दिन शाही स्नान हो रहे हैं। ऐसे संयोग अब दोबारा 144 साल बाद ही आएगा।
घर पर भी कर सकते हैं स्नान
पंडित बलराम तिवारी बताते हैं कि यदि आप मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे तो इसके लिए भी शास्त्रों में विधान को बताया गया है। कोई व्यक्ति किसी कारणवश पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ है तो वह घर में स्नान के समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकता है। इस दौरान पानी गंगाजल के साथ तिल अवश्य डालें। ऐसा करने से पवित्र स्नान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु और सूर्यदेव की उपासना करें। छह पर जाकर सूर्यदेव को जल अपर्ण करें।