लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। अयोध्या की सबसे हॉट सीट मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर डुगडुगी बज चुकी है। इस विधानसभा सीट पर 5 फरवरी को वोटिंग होगी। ऐसे में समाजवादी पार्टी और बीजेपी के कार्यकर्ता जीत-हार के लिए सियासी में उतर चुके हैं। मिल्कीपुर सीट पर सपा का पिछले 33 सालों से कब्जा है। इसे अखिलेश यादव का अभेद किला कहा जाता है। जिस पर कब्जे को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ खुद उतर चुके हैं और 6 मंत्रियों को जीत का टॉस्क सौंपा। यहां सारा दारोमदार जातीय गणित का है, जो इस सियासी लड़ाई में गेमचेंजर साबित होगी।
5 फरवरी को होगी वोटिंग
लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी ने बड़ा उलटफेर करते हुए अयोध्या सीट पर जीत दर्ज की थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर सीट पर साइकिल दौड़ी थी। यहां से अवधेश प्रसाद विधायक चुने गए थे। सपा ने उन्हें लोकसभा में उतारा। जनता ने अवधेश प्रसाद को सांसद चुन लिया। ऐसे में मिल्कीपुर सीट रिक्त हो गई। चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर सीट पर 5 फरवरी को वोटिंग की डेट मुकर्रर की है। मिल्कीपुर सीट पर पिछले 33 सालों से सपा का कब्जा है। ऐसे में बीजेपी उपचुनाव में पूरी ताकत के साथ मैदान पर उतर चुकी है। मिल्कीपुर में जीत-हार में जातियां अहम रोल अदा करती करत़ी आ रही हैं।
55 हजार पासी मतदाता
मिल्कीपुर विधानसभा सीट के वोटर की बात करें तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 58 हजार है। ऐसा माना जाता है कि इसमें सबसे अधिक अनुसूचित जाति और फिर दूसरे नंबर पर पिछड़े वर्ग के वोटर हैं।
यहां सवा लाख दलित हैं, जिनमें पासी बिरादरी के वोट ही करीब 55 हजार हैं। इसके अलावा 30 हजार मुस्लिम और 55 हजार यादवों की तादाद है। जीत-हार में पासी (पी) यादव (वाई) और मुसलमान (एम) का अहम रोल रहता है। जानकार बताते हैं कि तीनों जातियों के वोटर्स जिस दल की तरफ चले जाते हैं, उसी का कैंडीडेट जनप्रतिनिधि बन जाता है। अवधेश प्रसाद पासी समाज से आते हैं। इसी के चलते पहले वह विधायक रहे और फिर सांसद निर्वाचित हुए।
60 हजार ब्राह्मण मतदाता
अगर सवर्ण वोटर्स की बात करें तो मिल्कीपुर में ब्राह्मण समाज के 60 हजार मतदाता हैं। क्षत्रियों और वैश्य समुदाय की तादाद क्रमशः 25 हजार और 20 हजार है। अन्य जातियों में कोरी 20 हजार, चौरसिया 18 हजार हैं। साथ ही पाल और मौर्य बिरादरी भी अहम हैं। जानकार बताते हैं कि इनमें से अधिकतर जातियों का वोट बीजेपी के पक्ष में ही पड़ता है। पासी, यादव और मुसलमान वोट के मुकाबले इन जातियों के वोटर्स की संख्या कम हैं। पाल, कोरी के मतदता कभी सपा के तो कभी बीजेपी के साथ रहते हैं। विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में इन जातियों के वोटर्स बड़ी तादाद में सपा के साथ चले गए थे। इसी के कारण अयोध्या सीट पर बीजेपी को हार उठानी पड़ी थी।
सपा ने अजीत प्रसाद को दिया टिकट
सपा ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को इस सीट से पहले ही प्रत्याशी घोषित कर रखा है। वहीं कांग्रेस नेता अजय राय ने कहा है कि वह यूपी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी का समर्थन करेंगे। यानि मिल्कीपुर सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। जानकारी के मुताबिक 17 जनवरी से पहले बीजेपी मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उम्मीदवार घोषित कर सकती है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी उपचुनाव में इसबार पासी समाज से आने वाले नेता को टिकट दे सकती है। बीजेपी की नजर पासी समाज के वोटर्स पर है। पासी समाज का वोटर्स लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस के साथ रहा। यही वजह रही कि बीजेपी रायबरेली, अमेठी और अयोध्या सीट हार गई। इन तीनों लोकसभा क्षेत्रों मे ंपासी वोटर्स की संख्या सबसे अधिक है।
1991 से सिर्फ दो बार जीती बीजेपी
मिल्कीपुर सीट पर सालों से समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है। ये सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। साल 1991 से अब तक बीजेपी यहां सिर्फ दो बार चुनाव जीती है, जबकि छह बार सपा और दो बार बसपा से विधायक रहे हैं। साल 2002 में सपा के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को हराकर यह सीट जीती थी। प्रसाद को 49.99 प्रतिशत वोट (1,03,905) मिले थे, वहीं गोरखनाथ को 41.83 प्रतिशत (90,567) वोट मिले थे। बता दें, मिल्कीपुर सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में सपा के अवधेश प्रसाद के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई थी। इससे पहले नेता प्रसाद मिल्कीपुर सीट से विधायक थे। अब इस सीट पर बीजपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर है।
6 मंत्रियों को दी गई मिल्लीपुर की जिम्मेदारी
बीजेपी ने इस सीट को जिताने के लिए 6 मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों बैठक में मंडल, शक्ति केंद्रों और बूथ इकाइयों में ज्यादा से ज्यादा मत प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा का मंत्र भी दिया। इन मंत्रियों मे प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, खेल मंत्री गिरीशचंद्र यादव, खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर का नाम शामिल है। ये मंत्री मिल्कीपुर में अलग-अलग वर्गों के लोगों के साथ बैठक कर मतदान अपने पक्ष में कराना सुनिश्चित करेंगे।