Cyber Fraud : गृह मंत्रालय के इंटरनल सिक्योरिटी विभाग के सेक्रेटरी इस समिति की निगरानी करेंगे, और एक विशेष अभियान भी चलाया जाएगा। MHA के I4C (इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर) विंग ने सभी राज्यों की पुलिस से समन्वय स्थापित किया है। सूत्रों के अनुसार, डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
साइबर धोखाधड़ी से जुड़े आंकड़े
मिली जानकारी के अनुसार, इस साल अब तक 6000 से अधिक डिजिटल अरेस्ट की शिकायतें दर्ज हुई हैं। साइबर धोखाधड़ी और डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं में शामिल 6 लाख मोबाइल फोन गृह मंत्रालय के साइबर विंग द्वारा ब्लॉक किए जा चुके हैं। इसके अलावा, 709 मोबाइल ऐप्स पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। साइबर अपराधों में शामिल 1 लाख 10 हजार IMEI नंबर और 3.25 लाख फर्जी बैंक खातों को भी फ्रीज करा गया है।
प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ में चेतावनी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट और साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और जनता को इनसे सतर्क रहने की सलाह दी थी।
क्या है यह नई साइबर धोखाधड़ी?
डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक नया तरीका है, जिसमें ठग कानून प्रवर्तन अधिकारी का रूप लेकर ऑडियो या वीडियो कॉल पर लोगों को धमकाते हैं। वे गिरफ्तारी के बहाने लोगों को मानसिक दबाव में डालकर उन्हें डिजिटल रूप से बंधक बना लेते हैं। इस प्रक्रिया में जालसाज कानून का डर दिखाकर लोगों से आर्थिक लाभ उठाने की कोशिश करते हैं।
CERT-In की चेतावनी
इस सप्ताह के शुरु में ही कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ऑफ इंडिया (CERT-In) ने एक सूची जारी की है, जिसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी के एक दर्जन से ज्यादा तरह के तरीके बताए गए हैं। इनमें लोगों के धन और व्यक्तिगत डेटा को चुराने के तरीकों में “डिजिटल अरेस्ट” भी शामिल है। CERT-In ने लोगों को जागरूक रहने और सतर्क रहने की सलाह दी है ताकि वे साइबर अपराधियों के चुंगल में न फंसें।
सरकार के इस कदम से डिजिटल अरेस्ट और साइबर धोखाधड़ी के मामलों में कमी आने की उम्मीद है, और जनता को डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक होने का संदेश भी मिलता है।