उत्तर प्रदेश: शुक्रवार की सुबह मिर्जापुर जिले (Mirzapur District) के सिखड़ गांव के सामने गंगा नदी में तैरता हुआ पत्थर देखकर लोग दंग रहे गए. गांव के लोगों ने पहले इसे आर्टिफिशियल माना, लेकिन जब उन्होंने उठाकर देखा तो यह एक भारी पत्थर निकला, फिर लोगों ने एक-एक करके इसका वजन अपने हाथों से मापने की कोशिश की, तो यह पत्थर काफी वजन का निकला था. लेकिन यह एक सामान्य पत्थर की तरह था और खोखला न लगने के बाद लोग इसे त्रेतायुग पत्थर मानकर इसकी पूजा करने लगे हैं.
दरअसल, ये पूरा मामला मीरजापुर जिले के सीखड़ के लालपुर से सामने आया है. जहां निवासी बचाउ शर्मा शुक्रवार की सुबह गंगा नदी पर पिंडदान में शामिल होने गए थे, तभी उन्हें गंगा नदी में तैरता हुआ पत्थर दिखाई दिया. गांव के लोगों ने नदी से पत्थर निकाला और पत्थर को बार-बार पानी में डुबाने की कोशिश की. लेकिन जैसे ही पत्थर को नदी में फेंका गया, वह तैरता हुआ नजर आया. ग्रामीणों ने इसे अलौकिक पत्थर मानकर नदी से निकालकर पास स्थित भगवान विष्णु के मंदिर में लाकर पूजा-पाठ शुरू कर दिया.
त्रेता युग का पत्थर माना मंदिर में पूजा-पाठ शुरू
सीखड़ प्रतिनिधि के मुताबिक अब विशेषज्ञ बताएंगे कि इस पत्थर में ऐसा क्या है जो इसे तैरने में मदद कर रहा है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस पत्थर में राख या डंडे की कोई संभावना नहीं है, भारी कारण से लगातार तैरने के कारण यह इसे अन्य पत्थरों से अलग करता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि त्रेतायुग काल में समुद्र में पत्थर तैरने के लिए बनाए गए थे. जिसकी वजह से राम की सेना लंका तक पहुंचने में सफल हो सकी थी. अब इसे त्रेतायुगीन पत्थर मानकर क्षेत्र में इसकी पूजा की जा रही है.
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