कानपुर ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद माफिया, बाहुबली, अपराधी और खूंखार डॉन का लगभग-लगभग सफाया हो गया। इन्हीं में से कानपुर का डॉन मोनी पहाड़ी था, जिसकी गैंगवार के कारण जेल के अंदर हत्या कर दी गई थी। मोनू पहाड़ी इतना खतरनाक अपराधी था कि बात के बजाए इंसानों पर गोली से वार करता था। शातिर ने बेवफाई के चलते अपनी महबूबा की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि शहर के आखिरी डॉन ने गर्लफ्रेंड के प्राईवेट पार्ट में 10 गोलियां मारी थीं।
कौन था कानपुर का डॉन मोनू पहाड़ी
40 वर्षीय मोनू पहाड़ी कानपुर के अनवरगंज थानाक्षेत्र स्थित 91-99, दलेलपुरवा का निवासी था। मोनू पहाड़ी ने कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। मोनू पहाड़ी ने जरायम की दुनिया में धाक जमाने की नियम से एक के बाद एक कई ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दिया। महज कुछ माह के अंदर ही वह शहर का डॉन बन गया। अपराधी उसके नाम से कांपते थे। कहा जाता था कि मोनू जरा सी बात पर नाराज होकर तमंचे से गोली मार देता था। मोनू पहाड़ी कारोबारियों से पर्ची के जरिए रंगदारी वसूलता था। मना करने पर उनकी हत्या कर देता था।
तब मोनी पहाड़ी पर रखा गया 50 हजार का इनाम
मोनू पहाड़ी 16 साल की उम्र में पहली बार एक मकान के विवाद में आरोपी बना। एक पुलिस अफसर के मुताबिक इसमें वह बाल सुधार गृह भेजा गया था। जब वह यहां से निकला तो कुख्यात अपराधी इसरार पागल के साथ शामिल हो गया। हालांकि कुछ समय बाद ही इसरार शहर छोड़कर चला गया। तब मोनू डी-2 गैंग में शामिल हुआ। पहले अतीक गैंग और फिर रईस बनारसी के गैंग में शामिल होकर वारदातों को अंजाम देने लगा। उसने सबसे पहले डी-2 गैंग से सुपारी लेकर शातिर अपराधी लाला हड्डी व चौरसिया की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या की। फिर मूलगंज में हसीन टुंडा को मौत के घाट उतारा। उस वक्त मोनू पर पचास हजार का इनाम भी था।
इटावा जेल में हुई थी मोनू पहाड़ी की हत्या
मोनू पहाड़ी को डी-2 गैंग का सक्रिय सदस्य था। बताया जाता है कि मोनू बाद में गैंग का लीडर बना। शहर में कई लूट और हत्या की घटनाओं में उसका नाम सामने आया। कलक्टरगंज में व्यापारी से लूट की घटना हो या फिर कोचिंग मंडी में चर्चित रहे हारुन हत्याकांड का मामला, कई घटनाओं में उसकी संलिप्तता होने की बात पुलिस जांच में सामने आई थी। पुलिस ने एनकाउंटर के बाद मोनू पहाड़ी को अरेस्ट कर जेल भेजा था। उसे जिला मजिस्ट्रेट कानपुर देहात के द्वारा प्रशासनिक आधार पर कानपुर जेल से इटावा कारागार में 7 अक्टूबर 2016 को स्थानांतरित किया गया था। जेल के अंदर ही मोनी की हत्या कर दी गई थी।
दिनदहाड़े प्रेमिका को उतारा मौत के घाट
डी-2 गैंग का शार्प शूटर रहा मोनू पहाड़ी उर्फ राशिद पहाड़ी ने बेवफाई करने पर अपनी प्रेमिका को दिनदहाड़े बीच सड़क पर मौत के घाट उतार दिया था। मोनू ने जूही ढाल के पास प्रेमिका के प्राईवेट पार्ट पर 10 गोलियां मारी थीं। इस वारदात के बाद पूरे शहर में सनसनी फैल गई थी। क पुलिस अफसर के मुताबिक नेहा नाम की युवती से मोनू का प्रेम प्रसंग था। ताबड़तोड़ कई वारदातों को अंजाम देने पर मोनू जेल गया। जेल में उसे पता चला कि उसकी प्रेमिका से उसके एक करीबी के संबंध हो गए। इस बीच जब वह पेशी पर आया तो पुलिस हिरासत से भाग गया।
बेरहमी से की थी प्रेमिका की हत्या
जूही ढाल के पास दिनदहाड़े मोनू पहाड़ी ने नेहा को एक के बाद एक 10 गोलियां मारीं। तीन गोलियां उसके चेहरे व 10 गोलियां नाजुक अंगों पर मारीं। इसमें रईस बनारसी का भी नाम आया था। एसटीएफ ने 19 अगस्त 2014 को मोनू पहाड़ी की नौबस्ता के ब्रह्देव मंदिर के पास घेराबंदी की। जब एसटीएफ के अधिकारियों ने सरेंडर करने को कहा तो उसने उन पर हमला कर दिया। बाइक से भागते समय अचानक फिसलकर गिर गया। तब एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार किया था। 2016 में उसको सात साल की सजा सुनाई गई थी।