रिश्तों का कत्ल! मुरादाबाद में ससुर को बहू से रेप और बेटे की हत्या के लिए ‘आजीवन कारावास’

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक जघन्य अपराध के मामले में अदालत ने आरोपी ससुर को कठोर सजा सुनाई है। बहू से दुष्कर्म और बेटे की हत्या के दोषी पिता को आजीवन कारावास और ₹1.5 लाख का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से अधिकांश राशि पीड़िता को मिलेगी।

Moradabad

Moradabad Court Verdict: मुरादाबाद की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने एक हृदय विदारक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। आरोपी ससुर को अपनी बहू के साथ दुष्कर्म और विरोध करने पर अपने ही बेटे की गोली मारकर हत्या करने का दोषी पाया गया है। अदालत ने दुष्कर्म के लिए 10 वर्ष का कठोर कारावास और ₹50,000 का जुर्माना लगाया है। वहीं, बेटे की हत्या के जघन्य अपराध के लिए आरोपी को आजीवन कारावास और ₹1 लाख का आर्थिक दंड दिया गया है। अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि जुर्माने की कुल राशि ₹1.5 लाख का एक बड़ा हिस्सा (लगभग 80-90%) पीड़िता को दिया जाएगा, जो न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

घटना का विवरण

मामला Moradabad जिले के मझोला थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जो 28 नवंबर 2020 को सामने आया था। पीड़िता ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया था कि 25 नवंबर की रात जब उसका पति घर से बाहर था, तब उसके ससुर ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पति के लौटने पर जब उसने अपने पिता से इस बारे में पूछा, तो शिकायत करने पर उनके देवर भी वहां आ गए और मारपीट शुरू हो गई। इसी हाथापाई के दौरान आरोपी ससुर ने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से अपने बेटे को गोली मार दी।

इलाज के दौरान मौत

गंभीर रूप से घायल पति को महिला तुरंत अपेक्स अस्पताल लेकर गई, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने ससुर और देवर के खिलाफ दुष्कर्म (धारा 376) और हत्या (धारा 302) के तहत मामला दर्ज किया। हालांकि, विवेचना के बाद पुलिस ने केवल ससुर के खिलाफ ही चार्जशीट दाखिल की थी।

अदालत का फैसला और जुर्माना

Moradabad  अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें और साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद आरोपी ससुर को दोषी करार दिया।

  • दुष्कर्म (धारा 376): 10 वर्ष का कठोर कारावास और ₹50,000 का आर्थिक दंड। इस राशि का 80 प्रतिशत हिस्सा पीड़िता को देने का आदेश दिया गया है। जुर्माना न देने पर तीन महीने की अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।

  • हत्या (धारा 302): आजीवन कारावास और ₹1 लाख का आर्थिक दंड। इस राशि का 90 प्रतिशत हिस्सा पीड़िता को दिया जाएगा। जुर्माना न देने की स्थिति में छह माह की अतिरिक्त कारावास भुगतनी होगी।

यह फैसला समाज में ऐसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए एक कड़ा संदेश देता है।

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