बांदा। पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी की 28 मार्च 2024 को हार्ट अटैक से बांदा जेल में मौत हो गई थी। ‘बड़ा फटका’ के डॉन की मौत के बाद जेल की बैरक को जज और मजिस्ट्रेट की निगरानी में सील कर दिया गया था। अब एक साल बाद मुख्तार की 16 नंबर की बैरक का ताला खुलने जा रहा है। कोर्ट ने जेल प्रशासन को आदेश दिया है कि मुख्तार की बैरक में रखा सामान वीडियोग्राफी कराते हुए उसके परिवार वालों को सौंप दिया जाए। समान देने के वक्त एक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति का आदेश भी दिया गया है। जेल प्रशासन ने कोर्ट का आदेश मिलने के बाद मुख्तार अंसारी के परिवार वालों को पत्र लिख दिया है। बताया जा रहा है कि 30 मार्च को मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और छोटा बेटा बांदा आएंगे और सामान ले जाएंगे।
28 मार्च को हुई थी मुख्तार अंसारी की मौत
आपको बता दें पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी को अप्रैल 2021 में पंजाब की रोपड़ जेल से बांदा जेल शिफ्ट किया गया था। तब से मुख्तार बांदा जेल में बैरक नम्बर 16 में बन्द था। इस दौरान 26 मार्च 2024 को अचानक मुख्तार अंसारी की बिगड़ी, जिसके बाद उन्हें बांदा के मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। लेकिन चेकअप के बाद वापस बांदा जेल शिफ्ट कर दिया। फिर 28 मार्च 2024 को अचानक देर शाम तबीयत बिगड़ी और उसे जेल प्रशासन के अफसरों ने मुख्तार को बांदा जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। जहां रात 8 बाजार 25 मिनट पर डॉक्टरों ने मुख्तार को मृत घोषित कर दिया। मुख्तार के परिजनों ने जेल प्रशासन पर खाने में जहर देने, इलाज न देने सहित कई गंभीर आरोप लगाए थे।
परिवारवालों ने लगाए थे गंभीर आरोप
परिचारवालों के आरोपों के बाद मुख्तार अंसारी की मौत की मजिस्ट्रेट और ज्यूडिशियल जांच के आदेश दिए गए थे। दोनों जांच में मुख्तार के परिवार वालों द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हुई। साथ ही, मुख्तार की मौत के मामले में चल रही मजिस्ट्रेट और न्यायिक जांच भी बंद कर दी गई है। जांच में कोई गड़बड़ी नहीं मिली है। रिपोर्ट के अनुसार मुख्तार की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। जांच रिपोर्ट अफसरों ने शासन को भेज दी है। इसके अलावा, मुख्तार के परिवार वालों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जो मामला कोर्ट में चल रहा है। वहीं जेल प्रशासन ने कोर्ट के आदेश के बाद मुख्तार अंसारी के परिवार को पत्र लिखा है। जिसमें लिखा गया है कि मुख्तार अंसारी का सामान आकर जेल से ले जाएं।
30 मार्च को बांदा जा सकते हैं मुख्तार के परिजन
बांदा जेल अधीक्षक अनिल कुमार गौतम ने बताया कि मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उनकी बैरक को सीज कर दिया गया था, क्योंकि उनका सारा सामान उसी बैरक में था और मामला कोर्ट में विचाराधीन था। अब लोअर कोर्ट ने इस मामले में डायरेक्शन दी है कि मुख्तार अंसारी की बैरक को खुलवाया जाए। एक कमिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में गठित होगी और बाकायदा वीडियो ग्राफी की जाएगी। परिजनों के सामने सामान निकालकर उन्हें सुपुर्द कर दिया जाएगा। वहीं बताया जा रहा है कि मुख्तार अंसारी का छोटा बेटा और बड़े भाई अफजाल अंसारी रविवार को बांदा आएंगे। उनकी निगरानी में बैरक खोली जाएगी। बैरक के अंदर रखा सामान मुख्तार अंसारी के बेटे को दिया जाएगा।
घड़ी -डायरी और कुरान
बांदा जेल में मुख्तार असांरी करीब तीन साल बंद रहा है। इस दौरान मुख्तार अंसारी ने जेल के अंदर कुछ किताबें भी लिखी हैं। जेल सूत्रों के मुताबिक मुख्तार अंसारी की मौत के बाद ये किताबें परिवार को सौंपी जा सकती है। इसके अलावा बैरक के अंदर कुरान भी होने की जानकारी मिली है। मुख्तार अंसारी जेल में कुरान भी पढ़ता है। साथ ही उसके पकड़े और घड़ी भी बैरक के अंदर हैं। जेल सूत्र बताते हैं कि मुख्तार अंसारी जेल के अंदर महंगे कपड़े पहनता था। उसके पास कई घड़ी भी थी। हालांकि बैरक के अंदर क्या-क्या है, इसके बारे में जेल प्रशासन की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई। जब बैरक का ताला खुलेगा, तभी सही जानकारी मिल सकेगी। बताया जा रहा है कि मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे की जमानत हो गई है। पर वह कोर्ट के आदेश के तहत बांदा नहीं आ सकते।
बड़का फाटक में सजती थी मुख्तार की चौपाल
गाजीपुर जिले का एक कस्बा है युसुफपुर मुहम्मदाबाद जहां 1963 में मुख्तार अंसारी का जन्म हुआ था। परिवार नामी था, आजादी की लड़ाई में अपना लंबा योगदान दे चुका था। इसलिए लोग इज्जत बख्शते थे। घर के लोग पढ़े-लिखे और सलीकेदार थे तो छोटी-मोटी समस्याओं के समाधान के लिए लोग मुख्तार के घर पहुंचते थे, जिसे फाटक या बड़का फाटक कहा जाता है। मुख्तार अपने घर में सबसे लंबा था। जैसे-जैसे मुख्तार की लंबाई बढ़ती गई, वैसे-वैसे उसमें दबंगपन आता गया। उसके इरादे कुछ और थे। उसे शॉर्ट कट चाहिए थे, सलामी चाहिए थी लेकिन दबंगई से। उसे यकीन हो चला था कि बल से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। वह डाकुओं की तरह लूटने और राजाओं की तरह लुटाने में यकीन रखता था। और यहीं से मुख्तार अंसारी बड़का फाटक का डॉन बना और पूर्वांचल से लेकर यूपी में उसके नाम की तूती बोलने लगी।