मुस्लिम युवतियों ने अपनाया सनातन धर्म, लिए सात फेरे, जानें पूरा मामला

Shahjahanpur News : हाल के वर्षों में, कई मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सनातन धर्म को अपनाने का निर्णय लिया है, जिसे हिंदू संगठनों ने "घर वापसी" का नाम दिया है।

Shahjahanpur News : हाल के वर्षों में, कई मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सनातन धर्म को अपनाने का निर्णय लिया है, जिसे हिंदू संगठनों ने “घर वापसी” का नाम दिया है। इसी कड़ी में शाहजहांपुर में दो मुस्लिम युवतियों ने अपने धर्म को बदलकर सनातन धर्म अपनाया और पूरी धार्मिक रीतियों के साथ विवाह किया।

शाहजहांपुर का मामला

शुक्रवार को शाहजहांपुर के खिरनीबाग स्थित रामजानकी मंदिर में एक समारोह का आयोजन किया गया, जहां दो मुस्लिम युवतियों ने हिंदू धर्म में वापसी की। इनमें से एक युवती का नाम मेहर और दूसरी का नाम तबस्सुम था। दोनों युवतियों ने अपने हिंदू दोस्तों से शादी करने के लिए यह कदम उठाया। मेहर ने सनातन धर्म को अपनाने के बाद अपना नाम महक रखा और प्रिंस नाम के युवक के साथ शादी की। वहीं, तबस्सुम ने राजू नाम के युवक से विवाह किया और उसे रानी नाम दिया गया। दोनों ने अपने परिवार के विरोध के बावजूद यह निर्णय लिया।

साध्वी प्राची का आशीर्वाद

इस कार्यक्रम में साध्वी प्राची भी मौजूद थीं, जिन्होंने युवतियों को आशीर्वाद दिया। साध्वी प्राची ने पूर्व में मुस्लिम लड़कियों को हिंदू युवकों से शादी करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सबसे बड़ा धर्म है और इसमें सात फेरों के साथ-साथ सात जन्मों का बंधन होता है।

इसके अलावा, एक महिला बलजीत कौर और एक युवक अतुल शर्मा का भी धर्म परिवर्तन कराया गया। बलजीत कौर ने भी मंदिर में आकर सनातन धर्म को अपनाया। पिछले साल उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में भी एक मुस्लिम युवती आफरीन ने हिंदू धर्म अपनाकर निशा नाम रखा और अपने दोस्त प्रिंस गुप्ता से शादी की थी। इसी तरह गुलनाज ने भी इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म में वापसी की थी और उसे विराट कुमार नाम दिया गया था।

जेल में मुस्लिम कैदियों की भक्ति

कुछ दिन पहले शाहजहांपुर की जेल में भी एक अद्भुत घटना हुई, जब मुस्लिम कैदियों ने नवरात्र के दौरान व्रत रखा और पूजा की। जेल अधीक्षक ने बताया कि 27 मुस्लिम कैदियों ने नवरात्र के दौरान भक्ति का माहौल बनाया। यह घटना हिंदू-मुस्लिम एकता का एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।

इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि धर्म परिवर्तन के पीछे की भावनाएं और व्यक्तिगत संबंध महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह कदम कई बार परिवार के विरोध के बावजूद लिया जाता है। साध्वी प्राची जैसे नेता इस प्रक्रिया को प्रोत्साहित कर रहे हैं, जबकि समाज में विभिन्न धाराओं के बीच संवाद और समरसता की आवश्यकता है।

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