क्या है फतेहपुर के नवाब अब्दुल समद के मकबरा और शिव मंदिर का विवाद, कौन है वो शख्स, जिसने फहराया भगवा ध्वज

उत्तर प्रदेश का फतेहपुर जिला सोमवार को सूर्खियों में छाया रहा। यहां आबूनगर इलाके में मंदिर-मकबरे को लेकर दो पक्षों में जबरदस्त संग्राम देखने को मिला।

फतेहपुर। उत्तर प्रदेश का फतेहपुर जिला सोमवार को सूर्खियों में छाया रहा। यहां आबूनगर इलाके में मंदिर-मकबरे को लेकर दो पक्षों में जबरदस्त संग्राम देखने को मिला। हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने सुबह ईदगाह परिसर में स्थित नवाब अब्दुल समद के मकबरे पर भगवा झंडा लगा दिया। जिसके चलते पुलिस के हाथ-पैर फूल गए। पूरे इलाको को छावनी में तब्दील कर दिया गया। चप्पे-चप्पे पर पुलिसबल और अर्धसैनिकबलों की तैनाती कर दी गई। हिंदू संगठन ’मठ मंदिर संघर्ष समिति’ के पदाधिकारियों का ने बड़ा दावा है। उनका कहला है कि यह स्थल दरअसल ठाकुर जी का पुराना मंदिर है जिसे बाद में अतिक्रमण कर मकबरे में बदल दिया गया।

यूपी में संभल के बाद अब फतेहपुर में मंदिर-मस्जिद का विवाद शुरू हो गया। यहां सोमवार सुबह करीब 10 बजे अचानक बजरंग दल, हिंदू महासभा समेत कई हिंदू संगठनों के 2 हजार लोग ईदगाह में बने मकबरे पर पहुंच गए। इस घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के हजारों लोग मौके पर जमा हो गए। देखते ही देखते दोनों पक्षों में तनातनी बढ़ गई और पथराव शुरू हो गया। उपद्रव की आशंका को देखते हुए पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया। आसपास के इलाकों में बैरिकेडिंग लगाकर आवागमन नियंत्रित कर दिया गया। मामले में एसपी अनूप कुमार सिंह ने कहा कि कुछ लोगों ने पत्थर और बेंत उठाए थे, लेकिन कोई हथियार नहीं थे। सभी लोग उस स्थान को छोड़ चुके हैं। उन सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने कानून को अपने हाथ में लिया।

वहीं पूरे मामले पर हिंदू संगठनों का कहना है कि इस मकबरे के अंदर शिवलिंग मौजूद है और कभी वहां नंदी जी की मूर्ति भी थी। हिंदू संगठन यह भी दावा कर रहे हैं कि मकबरे की दीवारों और गुंबदों पर त्रिशूल, फूल और अन्य हिंदू धार्मिक चिह्न उकेरे गए हैं।मठ मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति ने जिलाधिकारी को एक लिखित शिकायत सौंपते हुए कहा है कि यह स्थान प्राचीन शिव मंदिर था, जिसे बाद में बदलकर मकबरे का रूप दे दिया गया। मठ मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति ने पूजा की इजाजत भी मांगी है। बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने कहा कि प्रशासन को मामले की पूरी जानकारी है। दूसरे समुदाय ने मंदिर को मस्जिद के स्वरूप में करने का काम किया है। ये हमारी आस्था का केंद्र है, इसलिए हम लोग हर कीमत में मंदिर में पूजा-पाठ करेंगे। अवैध कब्जा सनातनी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।

इस बीच राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने भी जिलाधिकारी को पत्र भेजा है, जिसमें प्रशासन से मकबरे के ऐतिहासिक स्वरूप से छेड़छाड़ न करने की अपील की गई है। बढ़ते विवाद और तनाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने पूरे मकबरे क्षेत्र को सील कर दिया है। साथ ही वहां बैरिकेडिंग कर दी गई है और किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। वहीं इस मुद्दे ने तब और तूल पकड़ा जब एक स्थानीय नौजवान ने दावा किया कि साल 2007 से 2008 में उसने मकबरे के भीतर मौजूद शिवलिंग पर दीपक जलाया था। उसका कहना है कि साल 2011 में मंदिर के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ की गई, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। युवक के दावे के बाद हिन्दू संगठन कईदिनों से इस पर रणनीति बना रहे थे। हिन्दू संगठनों ने 11 अगस्त को विवादित परिसर पर पूजा-अर्चना का ऐलान किया। सोमवार को सैकड़ों लोग मौके पर पहुंचे और मजार पर भगवा ध्वज फहरा दिया।

मकबरे के मुतवल्ली मोहम्मद नफीस का कहना है कि यह मकबरा करीब 500 साल पुराना है और इसे अकबर के पोते ने बनवाया था। उन्होंने बताया कि यहां अबू मोहम्मद और अबू समद की मजारें मौजूद हैं और इसे बनने में करीब 10 साल का वक्त लगा था। राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के मोहम्मद नसीम ने कहा कि फतेहपुर की घटना बहुत निंदनीय है। सैकड़ों साल पुराना हमारा मकबरा है। सरकारी दस्तावेज में 753 नंबर खतौनी में ये जमीन दर्ज है। लेकिन मठ संघर्ष समिति और कुछ संगठनों ने अब उसकी भी खुदाई का ऐलान कर दिया है। उसे ठाकुर जी का मंदिर कहकर तमाशा किया जा रहा है। जिले का माहौल खराब किया जा रहा है। मेरी प्रशासन और सरकार से अपील है कि क्या हर मस्जिद और मकबरे के नीचे मंदिर ढूंढा जाएगा। ये लोकतंत्र नहीं, राजतंत्र है। हम लोग इसको लेकर आंदोलन करेंगे। इनसब के बीच जिले में तनात तनावपूर्ण हैं। पुलिस हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं।

 

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