News1India Conclave: आगरा में News1 India द्वारा आयोजित भव्य “महाकुंभ मंथन” कॉन्क्लेव की शुरुआत हो चुकी है। इस आयोजन में केंद्रीय मंत्री, धार्मिक संत और प्रमुख नेता उपस्थित हुए। समाज, राजनीति और धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर गहरे विचार-विमर्श के लिए यह मंच एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। इस मौके पर संजीव कृष्ण शास्त्री भगवताचार्य और मनीष कृष्ण शास्त्री ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
बताई धर्म की भूमिका
संजीव कृष्ण शास्त्री ने कहा, “आज कुंभ जैसे आयोजन रोजगार का बड़ा साधन बन गए हैं। धर्म 30 करोड़ लोगों को रोजगार देता है, जो सरकार भी नहीं दे पा रही।” उन्होंने कहा, “धर्म दुविधा का नहीं, सुविधा का कारण है। जितने लोग गोवा और ताजमहल नहीं जाते, उससे अधिक लोग कथा और कुंभ में शामिल होते हैं।”
मनीष कृष्ण शास्त्री ने भारतीय सनातन परंपराओं की महानता को बताया और कहा, “हम ऐसे हिंदू हैं, जो चींटी के पैर के नीचे आ जाने पर पश्चाताप करते हैं।” संजीव कृष्ण शास्त्री ने कहा, “हम मुस्लिम विरोधी नहीं हैं, बल्कि समस्या वैभवप्रियता और अशांति से है। धर्म समाज की एकता का साधन है, इसे राजनीति से दूर रखना चाहिए।”
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आगे संजीव कृष्ण शास्त्री ने क्या कहा ?
संजीव कृष्ण शास्त्री ने कहा, “आज योगी आदित्यनाथ जैसे संत के नेतृत्व में कुंभ जैसे आयोजनों का महत्व और अधिक बढ़ा है।” उन्होंने धर्म को रोजगार का बड़ा माध्यम बताते हुए कहा कि एक कथा के आयोजन में टेंट लगाने वालों से लेकर लाइट का काम करने वालों तक हर वर्ग को काम मिलता है। उन्होंने कहा, “देश में धर्म जितना रोजगार दे रहा है, उतना सरकार भी नहीं दे रही है। धर्म 30 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है।”
मनीष कृष्ण शास्त्री ने क्या कहा ?
धर्म की भूमिका(News1India Conclave) पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “धर्म दुविधा का नहीं, बल्कि सुविधा का कारण है। जितने लोग गोवा और ताजमहल नहीं जाते, उससे अधिक लोग कथा और कुंभ में शामिल होते हैं।” मनीष कृष्ण शास्त्री ने भारतीय सनातन परंपराओं की सहिष्णुता को रेखांकित करते हुए कहा, “हम ऐसे हिंदू हैं, जो चींटी के पैर के नीचे आ जाने पर पश्चाताप करते हैं। यह सनातन धर्म की महानता है।” उन्होंने कहा कि भारत में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां मंदिर न हो। उन्होंने धर्म और समाज के बीच समन्वय पर जोर देते हुए कहा, “जब-जब भारत में दो विचारधाराएं आई हैं, तब-तब देश कमजोर हुआ है। अगर बंटेगे, तो कटेंगे।”
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संजीव कृष्ण शास्त्री ने धार्मिक सौहार्द्र पर भी बात की। उन्होंने कहा, “हम मुस्लिम विरोधी नहीं हैं। यह देश रसखान की कविताओं, मलिक मोहम्मद की मोहब्बत, और अब्दुल कलाम की सोच को सलाम करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि समस्या मुस्लिम समुदाय से नहीं, बल्कि समाज में फैल रहे वैभवप्रियता और अशांति से है। वक्ताओं ने धर्म को समाज की एकता का साधन बताया और इसे राजनीति से दूर रखने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि धर्म को केवल आस्था और मानवता के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए, न कि राजनीति के उपकरण के रूप में।