Ajmer Sharif Dargah Dispute : 850 साल पुरानी दरगाह या प्राचीन शिव मंदिर? अब कोर्ट में होगा सच का फैसला

उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर मचा विवाद अभी शांत नहीं हुआ था कि अब राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर हिंदू सेना ने नया दावा किया है.....

Ajmer Sharif Dargah Dispute :  उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर मचा विवाद अभी शांत नहीं हुआ था कि अब राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर हिंदू सेना ने नया दावा किया है। हिंदू सेना का कहना है कि दरगाह शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई है। इस मामले में स्थानीय अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली है और सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर तय की है। अदालत ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है।

हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव में दावा 

यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दाखिल की है। उन्होंने इसके लिए 1911 में लिखी पुस्तक अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव (लेखक हरबिलास सारदा) को आधार बनाया है। इस 168 पृष्ठों की पुस्तक के 93वें पेज पर दरगाह के निर्माण में हिंदू स्थापत्य के अंश होने का उल्लेख है। इसमें दावा किया गया है कि बुलंद दरवाजे के उत्तरी गेट पर तीन मंजिला छतरी एक हिंदू इमारत का हिस्सा थी। इसे जैन मंदिर के लाल पत्थरों से बनाया गया था। पृष्ठ 96 पर लिखा गया है कि बुलंद दरवाजे और भीतरी आंगन के नीचे हिंदू मंदिर जैसे तहखाने हैं, जहां भगवान शिव की मूर्ति भी मौजूद है। यह भी बताया गया है कि दरगाह बनने से पहले वहां एक ब्राह्मण परिवार पूजा करता था।

मामले को लेकर विवाद तेज

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दरगाह को शिव मंदिर घोषित किया जाए, उसका पंजीकरण रद्द किया जाए और हिंदुओं को वहां पूजा करने का अधिकार दिया जाए। वहीं, दरगाह के दीवान सैय्यद नसीरुद्दीन ने इन दावों को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि दरगाह 850 साल पुरानी है, और 100 साल पुरानी किताब के आधार पर इसे खारिज नहीं किया जा सकता। मामले को लेकर विवाद तेज हो गया है।

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