काशी हिंदू विश्वविद्यालय इन दिनो अलग- अलग विवादों के चलते घिरा हुआ है और लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि पीजी की सीट बढ़ाने की मांग को लेकर आयुर्वेद संकाय के छात्र प्रदर्शन कर रहें है। वहीं फीस वृद्धि के खिलाफ भी छात्रों ने आंदोलन छेड़ रखा है और अब सेमेस्टर परीक्षा में एक सवाल को लेकर बवाल मच गया है। बैचलर ऑफ वोकेशनल कोर्स में बीफ के वर्गीकरण प्रश्न पूछने पर छात्रों ने सवाल उठाया है। इसकी शिकायत कुलपति से कर जिम्मेंदारों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

बीफ क्लासिफिकेशन के सवाल ने मचाया बवाल
दरअसल, मामला फैकल्टी ऑफ आर्ट में चल रहे सेमेस्टर परीक्षा के दौरान बीफ के क्लासिफिकेशन का सवाल है। इसको लेकर छात्र आग बबूला है। बेैचलर ऑफ वोलेशनल कोर्स के दूसरे सेमेस्टर में कैटरिंग टेक्नोलॉजी एंड हो़टल सब्जेक्ट के पेपर में बीफ के वर्गीकरणसे संबंधित एक दीर्घ उत्तरीय सवाल पूछा गया। इसको लेकर छात्र विरोध कर रहे हैं।

एग्जामिनर की तरफ से बीफ के क्लासिफिकेशन पर पूछे गए सवाल को लेकर हंगामा मच गया है। प्रोेफेसर राकेश उपाध्याय ने फेसबुक पर प्रश्नपत्र को पोस्ट करते हुए इसका विरोध किया है। प्रोफेसर उपाध्याय ने लिखा है कि ‘काशी हिंदू विश्वविद्यालय में यदि बीफ के प्रकार को समझने और समझाने में कुछ इंस्ट्रक्टर को ज्यादा ज्ञान जग गया है तो कम से कम ऐसे प्रश्नपत्र सेट करने वालों के बारे में जानकारी तो सार्वजनिक की जानी चाहिए. यह कौन है? विश्वविद्यालय के हैं या किसी बाहरी एक्सपर्ट ने यह प्रश्न कई बार एक ही प्रश्नपत्र में कई प्रश्नों के अंतर्गत पूछा है. ऐसे प्रश्न बार बार पूछने के पीछे कि उनकी मंशा या नियत क्या है?’ उन्होंने यह भी लिखा कि ‘याद रहे भारत रत्न पूज्य मालवीय जी विश्वविद्यालय में गोवंश की सेवा करते रहे इसके लिए उन्होंने बाकायदा गोशाला की भी स्थापना की, ताकि यहां के स्टाफ और विद्यार्थियों को शुद्ध दूध मिलने में कठिनाई न हो। गोशाला की वर्तमान हालत क्या है पता नहीं? मगर छात्रों से बीफ के जरिए गोमांस की रेसिपी जानने में कुछ लोगों की दिलचस्पी जगी है, तो एक जिज्ञासु होने के कारण अन्य की भी जिज्ञासा है कि इसे प्रश्नपत्र में डालने, क्लास में पढ़ने और सिलेबस में रखने वाले कौन है?
नए कुलपति के आने के बाद गोहत्या जैसे प्रश्न क्यों

वहीं आगे उन्होंने लिखा है कि ‘वैसे भी उत्तर प्रदेश में गोहत्या और बिक्री निषेध कानून लागू है, तो फिर बीफ को पकाने का शिक्षण दिया जाना भी इस कानून के अंतर्गत संगीन जुर्म बन सकता है। यह मामला सीधे तौर पर जन भावनाओं को भड़काने के लिए कानूनी रुप से भी जिम्मेदार है। कुलपति और मुख्यमंत्री से विनम्र प्रार्थना करता हूं कि इस मामले में यदि सच्चाई है तो संवय संज्ञान में लेकर मामले में जांचकर आवश्यक कार्यवाई करें।
कुलपति इफ्तार में करेंगे शिरकत तो बीफ क्लासिफिकेशन ही पढ़ेंगे बच्चे:
इसी कड़ी में बीएचयू के शोध के छात्रों ने भी फेसबुक पर महामना की एक फोटो शेयर कर इस सवाल का विरोध करते हुए लिखा है कि ‘भारत में गोरक्षा आंदोलन के प्रणोता महामना मालवीय जी की बगिया में कुलपति के नेतृत्व में बीफ के वर्गीकरण को पढ़ाया और पूछा जा रहा है। जिसे गो और गंगा की रक्षा को महामना जीवन भर समर्पित रहे, आज उन्ही के विश्वविद्यालय में गोमांस के वर्गीकरण पढ़ाया जा रहा है। यह विश्वविद्यालय के मूल्यों के खिलाफ है।यह सब कुछ हिंदू विरोधी कुलपति के नेतृत्व में हो रहा है और उन्हीं के नेतृत्व में बीफ के वर्गीकरण का अध्ययन कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब कुलपति इफ्तार पार्टी में शिरकत करेंगे तो बीफ वर्गीकरण की क्लास तो चलाई ही जाएगी.