Fatehpur News : उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक पुराने मकबरे को लेकर धार्मिक तनाव बढ़ता जा रहा है। सोमवार को भाजपा जिलाध्यक्ष के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोग आबूनगर रेडइया स्थित मकबरे के पास इकट्ठा हो गए। इस दौरान कुछ लोगों ने इसे हिंदू मंदिर बताते हुए पूजा-पाठ और आरती की कोशिश की, जिसके चलते इलाके में हंगामा खड़ा हो गया।
स्थानीय प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वहां भारी पुलिस बल तैनात किया है। भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने जबरन मकबरे के अंदर घुसने की कोशिश की और वहां भगवा झंडा फहराने का प्रयास किया। बताया जा रहा है कि कुछ ने तोड़फोड़ की भी कोशिश की, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।
सुंदरीकरण का रखा गया प्रस्ताव
भाजपा जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने लोगों से मौके पर पहुंचकर पूजा और आरती करने की अपील की थी। हाल ही में मठ मंदिर संरक्षण समिति ने जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें इस स्थल को ठाकुरद्वारा मंदिर बताते हुए इसके सुंदरीकरण, नवीनीकरण और विस्तार की मांग की गई थी। ज्ञापन देने वालों में भाजपा और कई हिंदू संगठनों के नेता शामिल हैं।
जैसे ही यह मामला तूल पकड़ने लगा, प्रशासन ने मकबरे को घेरकर बैरिकेडिंग कर दी थी। इसके बावजूद भाजपा, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और अन्य संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ता वहां पहुंच गए। पुलिस ने रोकने की कोशिश की, लेकिन कई लोग बेरोकटोक अंदर घुस गए और मकबरे में तोड़फोड़ और झंडा लगाने की कोशिश की।
मुस्लिम पक्ष ने दिया दस्तावेजी जवाब
विवाद के बीच मुस्लिम समुदाय ने इस स्थल को मकबरा बताते हुए ऐतिहासिक रिकॉर्ड पेश किए हैं। राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव तलहा आमिर ने जिलाधिकारी को भेजे पत्र में कहा है कि जिसे मंदिर बताया जा रहा है, वह दरअसल “मकबरा मंगी” के नाम से राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मकबरे के अधिकृत मुतवल्ली (प्रबंधनकर्ता) मोहम्मद अनीश हैं, जिनका नाम संबंधित दस्तावेजों में उल्लेखित है।
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मौके पर दो समुदायों के आमने-सामने आने से स्थिति बेहद संवेदनशील हो गई है। जिला प्रशासन और पुलिस बल हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पूरी तरह मुस्तैद हैं। यह घटना एक बार फिर धार्मिक स्थलों के इतिहास और दस्तावेजों को लेकर गहराते विवाद की ओर इशारा करती है, जहां कानून और शांति व्यवस्था की परीक्षा होती है।