SP poster war: उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुई करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने एक बार फिर अपने तीखे तेवर दिखाए हैं। लखनऊ स्थित पार्टी के मुख्यालय के बाहर लगे एक नए विवादित पोस्टर में भाजपा और चुनाव आयोग को निशाना बनाया गया है। इस पोस्टर में लिखा है, “सत्ताईस के लिए सावधान।” सपा का यह कदम 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी को लेकर उठाया गया है। पार्टी ने इस पोस्टर के माध्यम से मतदाताओं को जागरूक करने का आह्वान किया है, साथ ही भाजपा और चुनाव आयोग के बीच कथित गठजोड़ पर भी सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी सपा कार्यालय पर एक और विवादित पोस्टर देखा गया था, जिसमें चुनाव आयोग को निशाना बनाया गया था।
पोस्टर वॉर में भाजपा और चुनाव आयोग पर वार
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में (SP poster war) भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की ऐतिहासिक जीत के बाद, समाजवादी पार्टी के लखनऊ मुख्यालय के बाहर लगे पोस्टर्स ने सियासी तापमान और बढ़ा दिया है। इन पोस्टर्स में 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और चुनाव आयोग की कथित साजिश का मुद्दा उठाया गया है। एक पोस्टर में यह आरोप लगाया गया है कि भाजपा और निर्वाचन आयोग मिलकर वोटर लिस्ट, मतदान और मतगणना तक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। इस पोस्टर में समाजवादी पार्टी के नेता राम सुधाकर यादव का नाम भी जुड़ा है। उन्होंने इस पोस्टर को पार्टी कार्यालय पर लगाया है, जिसमें जागरूकता यात्रा की भी बात की गई है।
सपा की राजनीतिक चालें
हालांकि 2027 के विधानसभा चुनावों में अभी दो साल का समय है, लेकिन राजनीतिक दलों और नेताओं ने अब से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी की ओर से लगाए गए इन पोस्टर्स से यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी अगले चुनावों के लिए अपनी रणनीति बना रही है। यह पोस्टर वॉर भाजपा को चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी के नए तेवरों को दिखाता है। विशेष रूप से मिल्कीपुर उपचुनाव के बाद, पार्टी ने अपने विरोधियों को खुली चुनौती दी है और आगामी चुनावों को लेकर जोश भरा संदेश दिया है।
मिल्कीपुर उपचुनाव का नतीजा
मिल्कीपुर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने (SP poster war) शानदार प्रदर्शन किया है। भाजपा के प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अजीत प्रसाद को 61,710 वोटों से शिकस्त दी। चंद्रभानु को कुल 1,46,397 वोट मिले, जबकि अजीत प्रसाद को केवल 84,687 वोट ही हासिल हुए। यह जीत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी थी और भाजपा ने यहां अपनी अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। यह सीट समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी।
इस हार के बाद, समाजवादी पार्टी ने अपनी रणनीतियों को और तेज कर दिया है और भाजपा के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया है। 2027 के चुनावों के लिए सपा का यह कदम इस बात का संकेत है कि वह आगे आने वाले चुनावों में अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है।