Raja Bhaiya on Sambhal: यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन संभल में हुई हिंसा का मुद्दा गरमाया रहा। मस्जिद सर्वे के दौरान प्रशासन पर हुई पत्थरबाजी और पुलिसकर्मियों के घायल होने की घटनाओं को लेकर जहां विपक्ष ने सर्वे पर सवाल उठाए, वहीं जनसत्ता दल के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने साफ कहा कि सर्वे कोर्ट के आदेश पर हुआ था और पत्थरबाजी के जरिए फैसले को चुनौती देना गलत है। उन्होंने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर फैसले से असहमति है, तो ऊपरी अदालत में चुनौती दी जाए, लेकिन प्रशासन और पुलिस पर हमले का कोई औचित्य नहीं है।
संभल हिंसा पर राजा भैया की दो टूक
सोमवार को यूपी विधानसभा में संभल में हुई हिंसा को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल खड़े किए। सपा विधायकों ने मस्जिद के सर्वे को हिंसा की जड़ बताया। इस पर जनसत्ता दल के नेता राजा भैया ने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि सर्वे न्यायालय के आदेश पर किया गया था। उन्होंने सवाल किया, “क्या पत्थर चलाने से अदालत का निर्णय पलट जाएगा?” उन्होंने आगे कहा कि अगर फैसले से कोई सहमत नहीं है तो ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए, लेकिन प्रशासन और पुलिस पर हमला गलत है।
Raja Bhaiya ने हिंसा के दौरान घायल हुए पुलिसकर्मियों का जिक्र करते हुए कहा कि किसी ने उनके लिए एक शब्द भी नहीं कहा। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि हालात बिगड़ने की वजह सर्वे नहीं, बल्कि प्रशासन पर हमला था।
राजा भैया ने बहराइच में हुए रामगोपाल मिश्र हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि 22 वर्षीय युवक की निर्मम हत्या की गई और उसके नाखून तक निकाल लिए गए। उन्होंने कहा कि हिंसा के इस मामले पर भी किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई।
‘कुंदरकी उपचुनाव पर सवाल उठाना गलत’
सपा नेताओं द्वारा कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की जीत को “मतों की लूट” बताने पर भी Raja Bhaiya ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अगर 65 फीसदी मुसलमानों के बावजूद भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई है, तो इसे लूट बताना गलत है। उन्होंने पूछा, “क्या इसका मतलब यह है कि जहां हिंदू ज्यादा हैं, वहां मुसलमान नहीं जीत सकते?” उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देना आपत्तिजनक है और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
संभल पर सदन में विस्तार से चर्चा हो
अंत में Raja Bhaiya ने मांग की कि संभल हिंसा पर विधानसभा में विस्तार से चर्चा कराई जाए ताकि सभी तथ्य सामने आ सकें। उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेशों का सम्मान करना चाहिए और किसी भी स्थिति में हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता।