Shahjahanpur: खेत से मिले सैकड़ों साल पुराने हथियारों का जखीरा, इतिहास के पन्नों में खोली नई परतें

शाहजहांपुर के ढकीया तिवारी गांव में खेत जोतते समय सैकड़ों साल पुराने तलवारों, खंजरों और बंदूकों का जखीरा मिला। विशेषज्ञ इसे 18वीं सदी या 1857 की क्रांति से जोड़कर देख रहे हैं। पुरातत्व विभाग की जांच के बाद ही इनके इतिहास का सही पता चलेगा। मौके पर भीड़ जुटी है।

Shahjahanpur
A cache of weapons found in Shahjahanpur: उत्तर प्रदेश में उस वक्त सनसनी फैल गई जब निगोही थाना क्षेत्र के ढकीया तिवारी गांव में किसान द्वारा खेत जोतते समय जमीन से प्राचीन हथियारों का जखीरा मिला। ओमवीर सिंह नामक किसान ने खेत जोतते वक्त एक भारी वस्तु से हल के टकराने की सूचना दी। इसके बाद खुदाई करने पर तलवारें, खंजर, बरछी और पुरानी बंदूकों के बैरल बाहर निकले, जिन्हें देखकर गांव वालों की भीड़ जमा हो गई। सूचना मिलते ही Shahjahanpur पुलिस और राजस्व विभाग की टीमें मौके पर पहुंच गईं। साथ ही पुरातत्व विभाग को भी इस अनोखी खोज की जानकारी दे दी गई।

हथियारों का स्वरूप

गांव के इतिहास में काफी रोचक बदलाव लाने वाली इस घटना ने सभी को हैरान कर दिया। वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. विकास खुराना का कहना है कि बंदूकें, तलवारें और खंजर जैसे हथियार अपने आप में ऐतिहासिक धरोहरों का हिस्सा हो सकते हैं। बंदूकों में मुख्यतः लकड़ी की पकड़ और नाल हैं, हालांकि लकड़ी को दीमक खा चुकी है और केवल नाल बाकी है। डॉ. खुराना का मानना है कि बंदूकों का यह मिलना 18वीं शताब्दी की उपस्थिति का संकेत हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में 18वीं शताब्दी में बंदूकों का प्रचलन था, जो भारत में बाबर के काल में प्रारंभ हो चुका था।

1857 के विद्रोह से जुड़े होने की संभावना

इतिहासकारों के अनुसार यह क्षेत्र 1857 की स्वतंत्रता संग्राम का गवाह रहा है। डॉ. खुराना ने इस संभावना को भी सामने रखा कि ये हथियार उसी क्रांतिकारी कालखंड से संबंधित हो सकते हैं। उस दौर में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियां रूहेलखंड क्षेत्र में प्रमुखता से होती थीं, जिसमें शाहजहांपुर का भी अहम योगदान था। ये हथियार उस समय के संघर्ष और बलिदान की निशानी हो सकते हैं। अध्ययन और वैज्ञानिक परीक्षणों के बाद ही इनके सही कालखंड का पता चल पाएगा।

कटेहर क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व

Shahjahanpur का यह इलाका पहले रूहेलखंड रीजन का हिस्सा था। 17वीं-18वीं शताब्दी में अफगानिस्तान से आए रूहेलों और स्थानीय कठेरिया राजपूतों का यहां पर वर्चस्व था। मुगलों के शासनकाल से पहले यहां राजा राम सिंह कठेरिया का राज्य था, और इसे कटेहार क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। क्षेत्रीय जानकारों का मानना है कि इन हथियारों का संबंध इस ऐतिहासिक युग से भी हो सकता है। यह जगह रूहेलखंड के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, जहां राजाओं और विदेशी आक्रमणकारियों के बीच सत्ता की लड़ाई चलती थी।

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पुरातत्व विभाग की जांच 

फिलहाल Shahjahanpur निगोही थाना पुलिस और राजस्व विभाग की टीमों ने जगह को सुरक्षित कर लिया है, और पुरातत्व विभाग को विस्तृत जांच के लिए सूचना दे दी गई है। इतिहासकारों और पुरातत्वविदों की एक विशेष टीम इन हथियारों का अध्ययन करेगी ताकि इनके समय और उपयोग का सटीक अंदाजा लगाया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज शाहजहांपुर के इतिहास में नई जान डाल सकती है और इसे राष्ट्रीय धरोहरों में शामिल किया जा सकता है।

जनता में कौतुहल, उत्सुकता

इस घटना के बाद गांव में जिज्ञासा का माहौल है। लोग बड़ी संख्या में इस प्राचीन हथियारों के जखीरे को देखने पहुंच रहे हैं। कुछ इसे क्रांतिकारी काल का अवशेष मान रहे हैं, तो कुछ इसे राजा-महाराजाओं के दौर के युद्धों से जोड़कर देख रहे हैं। इन हथियारों के मिलने से न सिर्फ इतिहास प्रेमियों की उत्सुकता बढ़ी है, बल्कि इसने सरकार और पुरातत्व विभाग को भी इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर कर दिया है।

इस अनोखी खोज ने शाहजहांपुर की जड़ों में छुपे उस ऐतिहासिक युग को फिर से सामने ला खड़ा किया है जो शायद अब तक अनकहा था।

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