Sharda University Suicide : ग्रेटर नोएडा में शारदा यूनिवर्सिटी के एक बीटेक छात्र की आत्महत्या के बाद परिजनों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। शारदा यूनिवर्सिटी में बीटेक छात्र शिवम कुमार डे की आत्महत्या के बाद उनके परिवार ने विश्वविद्यालय प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। 16 अगस्त को शिवम ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, जिससे 29 दिनों के भीतर शारदा यूनिवर्सिटी में यह दूसरी छात्र आत्महत्या का मामला बन गया है। इससे पहले 18 जुलाई को बीडीएस की छात्रा ज्योति जांगड़ा ने भी आत्महत्या की थी। इन घटनाओं ने विश्वविद्यालय की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
परिवार ने विश्वविद्यालय पर लगाए आरोप
शिवम के पिता कार्तिक डे ने सवाल उठाया है कि अगर उनका बेटा डेढ़ साल से कॉलेज नहीं जा रहा था, तो विश्वविद्यालय ने उन्हें इस बारे में सूचित क्यों नहीं किया। उन्होंने बताया कि फीस तो समय पर ली जा रही थी, लेकिन अनुपस्थिति की जानकारी नहीं दी गई। कार्तिक डे ने यह भी कहा कि अगर उन्हें पता होता कि उनका बेटा पढ़ाई छोड़ चुका है, तो वह उसे इंजीनियर बनाने के लिए ग्रेटर नोएडा नहीं भेजते और उसे खोते नहीं।
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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी बनती है कि वह छात्रों की अनुपस्थिति के बारे में अभिभावकों को सूचित करें। विश्वविद्यालय ने अपने बयान में कहा है कि शिवम का सीजीपीए तीसरे वर्ष में पदोन्नति के लिए आवश्यक 5.0 से कम था, इसलिए उसे सुधार का अवसर दिया गया। विश्वविद्यालय ने उसे विशेष परीक्षा देने का विकल्प और 40 प्रतिशत फीस पर दूसरे वर्ष में दोबारा दाखिला लेने का प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन शिवम ने दोबारा दाखिला नहीं लिया।
कमरे से मिला शिवम का सुसाइड नोट
शिवम के कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें उसने खुद को ‘यूज़लेस’ बताया है। उसने अपनी मौत के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया और लिखा कि यह दुनिया उसके लिए नहीं है। शिवम ने अपने सुसाइड नोट में शिक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। उसने लिखा है कि वह इस शिक्षा प्रणाली के लिए सही नहीं था और देश को महान बनाने के लिए एक सही शिक्षा प्रणाली शुरू करने की आवश्यकता है। उसने अपनी बची हुई फीस माता-पिता को लौटाने का भी अनुरोध किया है, क्योंकि वह दो साल से कॉलेज नहीं गया था