Siddharthnagar: जिले के इटवा तहसील क्षेत्र के बनगाई नानकार गाँव उत्तर पश्चिम में राप्ती नदी बहती है जो कटान करते हुए मकानों से 150 मीटर की दूरी तक पहुँच गयी है, जिससे गांव का अस्तित्व संकट में आ गया है।
ठोकर बनाने की रस्म अदायगी, साहबों की जेब भरी
वित्तीय वर्ष 2017 -18 में कटान से बचाव के लिए करोड़ो रुपए के लागत से मनरेगा के अंतर्गत ठोकर का निर्माण कराया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार का इस योजना का जिम्मेदारों ने खूब बंदर बाट किया है। ठोकर बनाते समय नदी का बालू, बोरी में भर कर ऊपर से ईंट के टुकड़े से ढक दिया गया था। राप्ती नदी की जलस्तर बढ़ने से अधिकांश बालू से भरे बोरे पानी में बह गया और पानी कम होते ही नदी में तेजी से कटान होने लगा। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो मौके पर अधिकारी पहुंचे और जांच किया।
जांच में भी कर दिया घपला, दे दी क्लीन चिट
जांच के दौरान Siddharthnagar अधिकारी ने यह कहते हुए रिपोर्ट लगा दिया कि ठोकर अपना काम कर रहा है। बनगाई नानकार गांव के निवासी गोविन्द ने कहा कटान का मुख्य कारण अमहवा गाँव के पास पत्थर का ठोकर है, जिससे पानी टकराकर सीधे बनगाई गाँव के पशिचम में कटान करती है, यदि पत्थर का ठोकर नहीं लगा तो गाँव के अस्तित्व के लिए संकट बन जायेगा। गोपाल ने कहा राप्ती नदी के कटान से ग्रामीणों के लोगों को चिंता सता रही है कि अगर कटान हुआ तो काफी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। दीप विजय ने कहा की बनगाई नानकार गांव के दक्षिण-पश्चिम और उत्तर तरफ अर्धचंद्राकार आकृति बनाते हुए राप्ती नदी बहती है। पहले यह नदी गांव और कृषि योग्य भूमि को छोडकर बहती थी, लेकिन गत वर्षों में यह तेजी से कटान करते हुए गांव के निकट पहुंच चुकी है। इस कटान पर पत्थर की जरूरत है।