सिद्धार्थनगर। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्रद्धा भारतीय ने एक बार फिर पुलिसिया कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुये गलत तरीके से गिरफ्तारी करके मानवाधिकार हनन का प्रथम दृष्टया मामला पाते हुये पुलिस के खिलाफ कार्यवाही करने व एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जिलाधिकारी को दिया है।
दहेज हत्या के मामले में सीओ ने दरोगा से करा दी विवेचना
कोतवाली जोगिया उदयपुर में दर्ज दहेज हत्या के मामले में विवेचक क्षेत्रधिकारी बांसी मयंक द्विवेदी अभियुक्त की रिमाण्ड लेने के लिए सीजेएम न्यायालय में पेश हुए। न्यायालय ने रिमांड प्रपत्रों और केस डायरी का अवलोकन करते हुए पाया कि प्रस्तुत मामले में अभियुक्त हरिओम की गिरफ्तारी सम्बन्धित विवेचक क्षेत्राधिकारी मंयक द्विवेदी ने नहीं किया बल्कि उपनिरीक्षक रमाकान्त यादव ने किया है। इस सम्बन्ध में पूछताछ करने पर क्षेत्राधिकारी ने न्यायालय के समक्ष बगैर वारण्ट अभियुक्त की गिरफ्तारी एसआई रमाकांत यादव द्वारा करना स्वयं स्वीकार किया। जबकि क्षेत्राधिकारी ने धारा-55 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता अधिनियम के अन्तर्गत इस सम्बन्ध में आदेशित किया था, परन्तु सम्बन्धित थानाध्यक्ष द्वारा गिरफ्तारी हेतु किसी अधिकारी को आदेशित करने के सम्बन्ध में कोई लिखित प्रपत्र पत्रावली में नहीं मिला।
अभियुक्त को घर से बुलाकर किया गिरफ्तार
अभियुक्त हरिओम ने न्यायालय से विवेचक क्षेत्राधिकारी मयंक द्विवेदी और गिरफ्तार करने वाले उपनिरीक्षक रमाकान्त यादव के सामने कहा कि उनको उपनिरीक्षक रमाकान्त यादव ने 3 दिसम्बर 2024 की सुबह 10.30 बजे उसके गांव की पुलिया पर फोन से बुलाकर गिरफ्तार किया है। इसके बाद 5 दिसम्बर 2024 तक थाने में रखा गया और 5 दिसम्बर 2024 की सुबह 7.00 बजे पुनः उसके गांव की पुलिया पर ले जाकर उपनिरीक्षक रमाकान्त यादव सहित तीन अन्य लोगों ने उसको डरा धमका कर बयान हेतु विवश करके वीडियोग्राफी किया।
न्यायालय ने जिलाधिकारी को दिया जांच करने का आदेश
रिमाण्ड प्रपत्रों के जांच से न्यायालय ने पाया कि अभियुक्त हरिओम की गिरफ्तारी का समय 8.45 बजे दर्शाया गया है। अभियुक्त ने खुले न्यायालय में समक्ष अधिवक्ता एवं पुलिस अधिकारी किये गये कथन की जांच किया जाना नितान्त आवश्यक है। यदि पुलिस अधिकारी द्वारा इस प्रकार का कोई कृत्य किया गया है तो यह कृत्य मानवाधिकार का उल्लघंन है, साथ ही साथ यह तथ्य स्वतः भी स्पष्ट है कि पुलिस अधिकारी स्वयं लोक सेवक की श्रेणी में आते है, जिनके द्वारा उपरोक्त कृत्य किया गया है तो वह सरकारी सेवक नियमावली का स्पष्ट रूप से उल्लघंन है एवं कदाचार की श्रेणी के अन्तर्गत आता है। उक्त तथ्यों को कहते हुए न्यायालय ने जिलाधिकारी को प्रकरण के सम्बन्ध में जांच कमेटी गठित कर 3 दिसम्बर को पुलिया पर बुलाकर उसकी गिरफ्तारी, थाने से उसको फोन करने, उसको गिरफ्तार करने के बाद उसके मोबाइल के स्विच ऑफ होने की लोकेशन, उसको गिरफ्तार करने से लेकर 5 दिसम्बर सुबह 11 बजे तक थाने के सीसीटीवी फुटेज न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया।साथ ही संलिप्त दोषी पुलिस कर्मियों पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश भी दिया है।