उत्तर प्रदेश में 2 सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनाव में सपा ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। 29 मई को एमएलसी की दो खाली पड़ी सीटों पर वोटिंग होगी। अखिलेश यादव के पास संख्या बल ना होने के बावजूद भी उन्होंने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं जो कि अब चर्चाओं का विषय बन गया है। समाजवादी पार्टी ने एक दलित और एक ओबीसी उम्मीदवार को प्रत्याशी घोषित किया है। रामकरण निर्मल और रामजतन राजभर यह दो नाम है जिनको सपा ने प्रत्याशी बनाया है। एमएलसी के चुनाव में सपा के पास संख्या बल ना होने के चलते सपा की हार तय मानी जा रही है। लेकिन फिर भी सपा ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं। दरअसल अखिलेश यादव की कोशिश है कि हार के बावजूद बीजेपी को पिछड़े दलितों और गरीब विरोधी बताया जाए।
सपा प्रत्याशी ने बीजेपी विधायकों से अपने पक्ष में वोट की अपील की
आपको बता दें कि एमएलसी की यह 2 सीटें बनवारी लाल के निधन और लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई हैं। भारतीय जनता पार्टी ने मानवेंद्र सिंह और पद्म सिंह चौधरी को एमएससी प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी के विधायकों से गुजारिश की है कि वह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सपा प्रत्याशी को जिताए। सपा की तरफ से मैदान में उतारे गए दोनों प्रत्याशियों ने भारतीय जनता पार्टी के दलित और ओवैसी विधायकों और मंत्रियों से वोट की अपील की है। रामजतन राजभर और रामकरण निर्मल ने बीजेपी विधायकों को पत्र लिखकर समर्थन की मांग की है। सामाजिक न्याय की दुहाई देते हुए कहा है कि गरीब, दलित, ओबीसी कि बीजेपी में कोई जगह नहीं है। सपा के दोनों प्रत्याशियों ने ओमप्रकाश राजभर से भी वोट की अपील की है।