Shubhanshu Shukla space mission: 15 जुलाई 2025 को दोपहर 3:00 बजे, भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल आया जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक लौटे। एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) का हिस्सा रहे शुभांशु ने स्पेसएक्स के ‘ग्रेस’ यान से प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग की। उनकी यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक सुनहरे अध्याय के रूप में जुड़ गई है। शुभांशु की यह पहली अंतरिक्ष यात्रा थी, जिसमें उन्होंने विज्ञान और मानव जीवन को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए। अब 10 दिनों के पृथकवास के बाद वे सामान्य जीवन में लौटेंगे। देश में इस ऐतिहासिक वापसी पर गर्व और उत्साह की लहर है।
18 दिन की अंतरिक्ष यात्रा के बाद घर वापसी
25 जून को शुभांशु शुक्ला फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च हुए थे और 26 जून को ISS से जुड़े थे। इस दौरान उन्होंने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें मांसपेशियों की हानि, मानसिक स्वास्थ्य, और अंतरिक्ष में फसल उगाने जैसे जटिल शोध शामिल थे। 14 जुलाई को शाम 4:45 बजे भारतीय समयानुसार ‘ग्रेस’ यान ने ISS से अलग होकर धरती की ओर यात्रा शुरू की। वापसी की प्रक्रिया में यान ने डीऑर्बिट बर्न, वायुमंडलीय प्रवेश, पैराशूट तैनाती और अंततः स्प्लैशडाउन जैसे तकनीकी चरणों को पार किया।
समुद्र में लैंडिंग और रिकवरी ऑपरेशन
‘ग्रेस’ यान ने 27,000 किमी/घंटा की रफ्तार से पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश किया। इस दौरान यान की बाहरी परत पर तापमान 1600°C तक पहुंच गया, जिसे हीट शील्ड ने सहा। लैंडिंग से कुछ समय पहले एक तेज सोनिक बूम सुनाई दिया, और संचार कुछ समय के लिए बाधित हो गया। फिर रिकवरी टीम ने नावों और हेलीकॉप्टरों के ज़रिए Ax-4 मिशन के सभी चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला। टीम में अमेरिकी कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोश उज़नांस्की-विस्निव्स्की, और हंगरी के टिबोर कपु शामिल थे।
भारत का झंडा और बेटे का हंस ‘जॉय’ भी साथ
‘ग्रेस’ यान 580 पाउंड (करीब 263 किलो) सामग्री के साथ लौटा, जिसमें नासा का हार्डवेयर, प्रयोगों का डेटा और ISS से निकला कुछ कचरा शामिल था। शुभांशु शुक्ला इस मिशन में भारत का तिरंगा और अपने बेटे का पसंदीदा खिलौना हंस ‘जॉय’ भी साथ लेकर गए थे। यह भावुक पहलू इस मिशन को और भी विशेष बनाता है। शुभांशु ने लैंडिंग के बाद कहा, “अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहराना मेरे लिए गर्व की बात थी।”
क्वारंटाइन और भविष्य की तैयारियां
लैंडिंग के तुरंत बाद Shubhanshu Shukla और उनकी टीम को मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया। अब वे लगभग 10 दिन पृथकवास में रहेंगे, जिससे उनका शरीर गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल हो सके। इस दौरान उनकी सेहत पर निरंतर निगरानी रखी जाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम और भविष्य के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों को मजबूती देगा। शुभांशु की यह सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। भारत के इस नए अंतरिक्ष योद्धा ने साबित कर दिया कि अब हमारा देश भी अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने के लिए पूरी तरह तैयार है।