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आखिर कौन है ‘वो’ किसके कारण यहां सरहद पर बटे प्रभु राम, हकीकत जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

Lord Ram Chitrakoot News : एक तरफ उत्तर प्रदेश में स्थित भगवान कामतानाथ या कहे कामदगिरि का प्रमुख द्वार है, तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में चौथा द्वार है।

Vinod by Vinod
December 2, 2024
in Latest News, TOP NEWS, उत्तर प्रदेश, धर्म
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चित्रकूट ऑनलाइन डेस्क। मंदाकनी के तट पर बसे चित्रकूट में भगवान श्रीराम, देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 11 वर्ष तक रूके थे। इसी के कारण इस धरा को राम की तपोभूमि कहा जाता है। इसी पवित्र नगरी में भगवान राम ने तुलसीदास जी को दर्श दिए थे। महान संत ने इसी धरती पर बैठकर रामचरित मानस लिखी थी। यहां अपनी मनोकामनाओं को दिलो में लेकर श्रद्धालु प्रभु राम की नगरी आते हैं और कामनाओं के पर्वत की परिक्रमा कर पुण्ण कमाते हैं। पर आपको जानकार हैरानी होगी, कि वो दोनों पर्वत दो प्रांतों की सीमाओं में हैं। त्रेता युग में भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट अखंड भारत का एक हिस्सा थी, आज देश की आजादी के बाद चित्रकूट का भाग दो प्रदेशों के बीच बट गया है।

दो हिस्सों में बटी धार्मिक नगरी

भगवान श्रीराम की तपोभूमि में हरदिन देश के कोने-कोने से लाखों भक्त आते हैं। मां मंदाकनी में डुबकी लगाने के बाद कामतानाथ भगवान के दर्शन करते हैं। आज भी चित्रकूट में त्रेतायुग की सारी निशानियां ज्यों की त्यों मौजूद हैं। धार्मिक नगरी दो हिस्सों में बंटी है। एक तरफ उत्तर प्रदेश में स्थित भगवान कामतानाथ या कहे कामदगिरि का प्रमुख द्वार है, तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में चौथा द्वार है। इसी गिरि में प्रभु राम ने साढ़े ग्यारह साल बिताए और आज कलयुग में इसी पर्वत को दो प्रदेशों के बीच बांट दिया गया है। यानि कि सरहद में बटे हैं श्रीराम। जिसके चलते राम जी के तपस्या वाले इस पर्वत की परिक्रमा लगाने वाले श्रद्धालुओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

अधिकांश भाग मध्य प्रदेश की सीमा में

चित्रकूट का एक भाग उत्तर प्रदेश की सीमा में आता है, तो वहीं अधिकांश भाग मध्य प्रदेश की सीमा में है। जिसको सतना चित्रकूट के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में दो प्रांतों यानि सरहद में बटे राम के अकीदतमंदों को भगवान राम की तपोभूमि की परिक्रमा लगाने के लिए खुद भी सरहदों में बटकर अपनी आस्था पूरी करनी पड़ती है। स्थानीय लोग कहते हैं कि यूपी के हिस्से में पड़ने वाले चित्रकूट में जबरदस्त विकास कार्य हुए हैं। योगी सरकार ने धर्मनगरी को चमकाया है। जबकि मध्य प्रदेश में पड़ने वाला चित्रकूट अब भी विकास से कोसों दूर हैं। इसी के कारण एमपी वाली तपोभूमि में भक्तों को कई कठिनाईयों का सापना करना पड़ता है।

चित्रकूट में प्रभु राम ने बिताए कई बरस

दरअसल, त्रेतायुग में अयोध्या नरेश दशरथ ने कैकई की आज्ञा से राम को चौदह सालों के वनवास का आदेश दिया था। भगवान राम अयोध्या छोड़ वन को चल दिए। महर्षि वाल्मीकि की आज्ञा से राम चित्रकूट आए और सीता और लक्ष्मण के साथ उन्होंने साढ़े ग्यारह साल सात दिन यहां बिताएं। चित्रकूट भगवान राम की वह तपोभूमि है। जहां उन्होंने अपनी जिंदगी का सबसे सुखमय वक्त गुजारा। साधू-संतों के दर्शन किए प्रवचन सुने और यहां के कोल किरातों को मानवता की शिक्षा दी। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम लोगों के लिए जितने सहज और सुलभ चित्रकूट में रहे, उतना कहीं और नहीं रह पाए। यही कारण है कि आज भी लोग चित्रकूट में राम के इस रूप से एकाकार होने चले आते हैं।

कामदगिरी पर्वत का धार्मिक महत्व

चित्रकूट में कामदगिरी पवित्र पर्वत का काफी धार्मिक महत्व है। श्रद्धालु कामदगिरी पर्वत की 5 किमी की परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं। जंगलों से घिरे इस पर्वत के तल पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। चित्रकूट के लोकप्रिय कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर भी यहीं स्थित है। नगर से 18 किमी. की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहां दो गुफाएं हैं। एक गुफा चौड़ी और ऊंची है। प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता। गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।

सती अनसुइया के घर जन्म लिया

चित्रकूट में राम ने अपनी सहचरी शक्ति स्वरूपा मां सीता का खुद अपने हाथों से श्रृंगार किया था। अपने आराध्य भूतभावन भगवान शिव की आराधना की और पृथ्वी से असुरी शक्तियों का नाश करने के लिए तप किया। इसी स्थान पर ऋषि अत्री और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था। चित्रकूट एक ऐसा स्थान जो विश्व भर के लोगो के लिये किंवदंतियों कथाओं कथानकों के साथ ही यथार्थ चेतना का पुंज बना हुआ है। चित्रकूट के लोगों से राम को सबसे ज्यादा स्नेह रहा है। उसी स्नेह को लेकर चित्रकूट आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान राम को सरहदों में बटा देख तफलीफ से गुजरते हैं।

Tags: Chitrakoot NewsDharma NewsLord Shri RamTapobhoomi Chitrakoot
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