लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। पुराणों के अनुसार चार युग होते हैं। पहला सतयुग, दूसरा त्रेतायुग, तीसरा द्वापरयुग और चौथा कलियुग। हर युग में मनुष्य की बनावट से लेकर उम्र भी अलग-अलग रही है। त्रेतायुग में मनुष्य की आयु लगभग 10,000 वर्ष होती थी। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ और उन्होंने लंका नरेश रावण का वध किया। जब दशनन का वध हुआ, उस वक्त उसकी उम्र 41 हजार वर्ष की थी। वहीं भगवान श्रीराम की आयू लगभग 38 से 40 वर्ष की बीच थी। भगवान श्रीराम ने एक लाख वर्ष तक धरती पर जीवित रहे।
पहले जानें रावण के बारे में
रावण, सारस्वत ब्राह्मण पुत्सल्य ऋषि का पौत्र था। इसलिए कुछ लोग उसका गोत्र सारस्वत बताते हैं, जबकि कुछ पुत्सल्य। रावण के पिता ब्राह्मण और माता राक्षसी थी। इसलिए कुछ लोग उसकी जाति ब्राह्मण जबकि कुछ ब्रह्मराक्षस बताते हैं। रावण के ब्राह्मण जाति के होने की बात का प्रमाण इस कथा से भी मिलता है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्म हत्या दोष हटाने के लिए रामेश्वरम में भगवान शिव की पूजा की थी। रावण के बारे में कहा जाता है कि उसने हजारों सालों तक तपस्या की। रावण ने अपनी तपस्या के बाद ही ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया था।
41वें हजार वर्ष की आयु में रावण का हुआ अंत
जानकार बताते हैं कि, त्रेतायुग 3600 दिव्य वर्षों का था और एक दिव्य वर्ष 360 मानव वर्षो के बराबर होता है। इस हिसाब से त्रेतायुग का कुल काल हमारे समय के हिसाब से 3600 × 360 = 1296000 (बारह लाख छियानवे हजार) मानव वर्षों का था। रामायण में ये वर्णन है कि रावण ने अपने भाइयों के साथ 11000 वर्षों तक ब्रम्हाजी की तपस्या की थी। इसके अतिरिक्त रावण ने 72 चैकड़ी यानि 28800 वर्षों तक लंका पर शासन किया। रावण ने 1000 साल तक भगवान शिव की तपस्या की। इसके अलावा रावण भगवान शिव से क्षमा मांगने के नाम पर 1 हजार वर्ष गुजारे। 1000$11000$1000$28800 मिलाएं तब करीब 40 हजार वर्ष होते हैं। 41,000वें वर्ष में उसका श्रीराम-सेना से सामना हुआ और वह मारा गया।
अपना 10वां शीश चढ़ाने लगा तो
श्री राम कथा सुनाने वाले पंडित बलरात तिवारी कहते हैं कि यह तो सबको मालूम ही होगा कि रावण के 10 शीश थे और त्रेतायुग के अंतिम चरण के आरम्भ में उसका जन्म हुआ था। रावण संहिता में ही यह उल्लेख है कि रावण ने अपने भाइयों (कुम्भकर्ण और विभीषण) के साथ ब्रह्माजी की 11 हजार वर्षों तक तपस्या की। हर 1,000वें वर्ष में उसने अपने 1 शीश की आहुति दी, इसी तरह जब वह अपना 10वां शीश चढ़ाने लगा तो ब्रह्माजी प्रकट हुए। रावण ने उनसे वर मांगा कि देव, दानव, दैत्य, राक्षस, गंधर्व, नाग, किन्नर, यक्ष इत्यादि कोई न मार पाए। तब ब्रह्माजी ने कहा था ‘तथास्तु’।
कुबेर से छीनी लंका
पंडित बलराम तिवारी बताते हैं, तत्पश्चात् रावण ने कुबेर से लंका छीन ली और वर्षों तक स्वर्ग के देवों से संघर्ष चला। अनेक देव-दानवों, यक्ष-वीरों को पराजित करते हुए रावण जब भगवान शिव के पास पहुंचा, तो उसने कैलाश पर्वत को उठाने की चेष्टा की। वहां उसकी भुजाएं दब गईं। तब उसने 1000 वर्षों तक शिव-स्तुति की। शिवजी ने प्रसन्न होकर उसे वर दिया। इस प्रकार रावण अत्यंत बलशाली और मायावी हो गया। पंडित बलराम तिवारी बताते हैं कि जब लक्ष्मण जी ने रावण की बहन की नाक काटी तभी उसे इसबार का अभास हो गया था कि धरती पर भगवान विष्णुजी का अवतार हो चुका है।
40 साल थी भगवान श्रीराम का उम्र
वाल्मीकि जी के रामायण के अनुसार भगवान राम जब वनवास जा रहे थे, उस समय उनकी उम्र 27 वर्ष थी। वहीं, रावण से युद्ध के समय उनकी उम्र लगभग 38 से 40 के बीच मानी जाती है। भगवान राम लगभग 41 वर्ष की उम्र में अयोध्या लौटे थे और 11000 सालों तक जीवित रहकर राज्य किया था। हालांकि, यह सिर्फ एक अंदाजा है। यह एक तरह से अनसुलझे इतिहास की तरह है।
11 हजार साल किया राज
बता दें कि भगवान राम की उम्र को लेकर कई शोध हुए हैं। वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में भगवान श्री राम के शासन काल का उल्लेख मिलता है। वाल्मीकि जी ने रामायण में लिखा है कि भगवान राम का राज्य 11000 सालों तक चला था। भगवान राम जब अयोध्या की गद्दी पर आसीन थे, उस काल को रामराज्य के रूप में जाना जाता है। शास्त्रों की मानें, तो रामराज्य में लोग निस्वार्थ भाव से प्रेम पूर्वक मिलजुल कर रहते थे।