कानपुर। उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को वोटिंग हो गई। देरशाम तमाम टीवी चैनल और न्यूज एजेंसियों के एक्जिट पोल सर्वे भी सामने आ गए। जिनमें यूपी में बीजेपी को प्रचंड जीत मिलने का अनुमान जताया गया है। जबकि सपा को 3 सीट मिल सकती हैं। इन्हीं तीन सीटों से सीसामऊ है, जिस पर पोल साइकिल की जीत का दावा कर रहे हैं। यहां से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी चुनाव के मैदान में थी। बीजेपी ने सुरेश अवस्थी को प्रत्याशी बनाया था। सपा की जीत पक्की करने के लिए अखिलेश यादव ने सीसामऊ की कमान अपने खास रणनीतिकार सुनील सिंह साजन को सौंपी थी।
1 माह तक गलियों में सजाई चौपाल
करीब एक महिना सीसामऊ की गलियों को मथ कर अखिलेश यादव के दूत सुनील सिंह साजन ने जो विसात बिछाई, वह चुनाव के दिन सपा के बहुत काम आई। चमनगंज, बेकनगंज जैसे मोहल्लों की गलियों में रोज सुनील कुमार साजन दूत बाइक से पहुंचते। कभी अलस्सुबह तो कभी देररात, कभी पैंट शर्ट तो कभी लोवर टीशर्ट में। वोटर्स से उसकी बस दो गुजारिशें थी। मतदान के दिन कुछ भी सहना न पड़े। झगड़े मत करना। वोट जरूर डालना। दूसरा कोशिश करना की मां, बहनों के वोट जरूर पड़ें। देखना कहीं पर्दे की जिद में वोट न रह जाए। सपा प्रवक्ता पूर्व एमएलएसी सुनील सिंह साजन की रणनीति से सपा तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद मजबूत फाइट में बनी रही।
अपनाई ‘गांधीगिरी’ जो आई काम
इसबार सीसामऊ के चुनाव में सपा ने गांधीगिरी की रणनीति अपनाई। सूत्रों के मुताबिक, इसे डिजाइन किया, सुनील साजन ने। इस सियासी खेल को दूसरे दलों के लोग तो दूर सपा नेता भी नहीं भांप सके। सुनील साजन ने सघन मुस्लिम इलाकों के ऐसे 22 प्वाइंट चिन्हित किए थे, जहां विवाद की आशंका थी। य जहां से विवाद बड़ता था। वह गुणा-गणित कर चुके थे कि विवाद बढ़ने पर य सपाईयों के हंगामा करने पर क्या-क्या हो सकता है। इसका चुनाव पर क्या असर पड़ेगा। कहां-कहां से सपा को वोट मिलेंगे। और किन इलाकों में ऊंट दूसरी करवट बैठ चुका है। कई दिन से वह सुबह बाइक से इन चिन्हित इलाकों में पहुंच रहे थे। जहां मोहल्लों के प्रभावशाली लोगों को पहले ही बुला लिया जाता था। उनके साथ बैठकों में उन्होंने बस यही कहा कि विरोध, बंदिशें, धमकी, अपमान कुछ भी सहना पर झगड़ा मत करना, वोट जरूर डालना। वरना बहन नसीम सोलंकी को नुकसान होगा।
बिना झगड़े फसाद के 49 फीसदी वोटिंग
सुनील सिंह साजन ने इन बैठकों में ये रणनीति भी दी कि बुर्कानशीं मां-बहनों को पहचान के नाम पर रोका जा सकता है। ऐसे विवाद नहीं होंगे। अगर पहचान के लिए जरूरी स्थान पर पर्दे की जिद पर न अड़ा जाए, कई बूथों पर महिला वोटर्स की पहचान को लेकर सवाल उठे। ऐसे में परिवारवालों ने ही पहचान के लिए चेहरे के मिलान करवाए। पर्दे की जिद पर न अड़ने से विवाद बचे। चुनाव का परिणात तो 23 नवंबर को आएगा। पर बिना झगड़े फसाद के 49 फीसदी वोटिंग हुई। अब एक्जिट पोल सर्वे भी आ गए हैं। जिनमें सीसामऊ सीट पर सपा की जीत बताई जा रही है। जानकार बताते हैं कि सुनील सिंह साजन ने सधी रणनीति के तहत चुनाव में कार्य किया। जिसके कारण मतदान प्रतिशत बढ़ा। मतदान प्रतिशत बढ़ने के कारण ही अब यहां सपा मजबूत दिखाई दे रही है।
इस वजह से हुआ उपचुनाव
सीसामऊ सीट से 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा कैंडीडेट इरफान सोलंकी विधायक चुने गए थे। पिछले दोनों एक महिला के घर को जलाने के मामले में उन्हें 7 साल की सजा सुनाई गई। इसके बाद इरफान सोलंकी की विधायकी जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत समाप्त हो गई। जिसके चलते सीसामऊ सीट के लिए उपचुनाव हुआ। सपा के गढ़ पर कब्जे को लेकर बीजेपी ने पूरी ताकत झोकी। सीएम से लेकर दोनों डिप्टी सीएम व प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में जनसभाएं की। सपा की तरफ से डिम्पल यादव ने रोड शो किया। इंडिया गठबंधन के नेता भी कानपुर पहुंचे और नसीम सोलंकी के समर्थन में जनसभाएं की।
2012 में अस्तित्व में आई थी सीसामऊ सीट
वर्ष 2012 में नए परिसीमन के तहत सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र बना। इसके बाद से यह सीट सपा के पास है। इरफान सोलंकी का इस सीट पर खासा दबदबा रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी रहे इरफान सोलंकी को 79,163 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी उम्मीदवार सलिल बिश्नोई 66,897 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थ। अगर 2017 के चुनाव की बात करें तो इरफान सोलंकी को तब 73,030 वोट मिले थे। बीजेपी के सुरेश अवस्थी 67,204 पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में हाजी इरफान सोलंकी को 56,496 वोट मिले। जबकि बीजेपी के हनुमान स्वरूप मिश्रा 36,833 मिले। कांग्रेस के संजीव दरियाबदी 22,024 पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।
सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स
सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर ब्राह्मण वोटर आते हैं। सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में एक अनुमान के मुताबिक, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 1 40 000 है। इसके बाद ब्राह्मण वोटर करीब 80 हजार हैं। तीसरे स्थान पर दलित वोटर आते हैं और उनकी संख्या करीब 70 हजार है। कायस्थ 26 हजार, सिंधी एवं पंजाबी 6 हजार, क्षत्रिय 6 हजार और अन्य पिछड़ा वर्ग 12,411 वोटर बड़ी भूमिका निभाते हैं। 2002 के बाद से मुस्लिम मतदाता सपा के साथ मजबूती के साथ खड़ा है। इसी के कारण तीन बार लगातार यहां से इरफान सोलंकी विधायक चुने गए। उससे पहले इरफान के पिता हाजी मुस्ताक सोलंकी विधायक निर्वाचित हुए।
1991 में पहली बार जीती बीजेपी
सीसामऊ विधानसभा सीट पर पहली बार 1985 में बीजेपी ने छवि लाल को टिकट दिया, पर उन्हें हार मिली। 1989 में पन्ना लाल तांबे को चुनाव के मैदान में उतारा और वह तीसरे नंबर पर रहे। बीजेपी ने 1991 में चुनाव में राकेश सोनकर को टिकट दिया और वह विधायक चुने गए। राकेश सोनकर ने 1993 और 1996 में लगातार दो और जीत हासिल कीं। इसके बाद लगातार दो बार 2002 और 2007 में कांग्रेस के संजीव दरियाबादी ने बीजेपी प्रत्याशियों को हराया। संजीव दरियाबादी के लिए यह सीट पारिवारिक कही जा सकती है, क्योंकि उनकी मां कमला दरियाबादी यहीं से 1985 में चुनाव जीती थीं। हालांकि इस सुरक्षित सीट को सामान्य घोषित करने के बाद यहां पर सपा का कब्जा हो गया।