Mahakumbh Stampede PIL In Surpeme Court नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। साथ ही महाकुंभ मेला पुलिस, यूपी एटीएस और यूपी एसटीएफ भी हादसे की जांच कर रही है। वहीं अब ये प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुका है। याचिकाकर्ता ने महाकुंभ में हुई भगदड़ के मामले में याचिका दायर की है, जिस पर 3 फरवरी को सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने की। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया।
क्या है पूरा मामला
महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले संगम तट के पास भगदड़ मच गई थी। भगदड़ में 30 से ज्यादा श्रद्धालुओं की जान चली गई थी और कई घायल हुए थे। हादसे के कुछ घंटे बाद सेक्टर 21 में उल्टा किला झूंसी के पास भी भगदड़ मची थी। सेक्टर 21 के बाद सेक्टर 18 में ओल्ड जीटी के पास एक महामंडलेश्वर की कार के लिए रास्ता बनाने के दौरान भगदड़ हुई थी, जिसमें एक बालिका समेत सात महिलाओं की मौत हुई थी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया। खुद घटनास्थल पर गए। घायलों से मिले। पुलिस-प्रशासन को भी जांच के आदेश दिए।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी पीआईएल
महाकुंभ की भगदड़ का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच। सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी की ओर से ये जनहित याचिका दाखिल की गई। इतना ही नहीं इसमें सभी राज्यों की ओर से मेले में सुविधा केंद्र खोलने की भी बात कही गई थी। जिससे गैर हिंदी भाषी नागरिकों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो। वहीं याचिका में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ पर स्टेटस रिपोर्ट और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई थी। इसके अलावा याचिकाकर्ता से कई और मांगे की गई थीं।
याचिका को खारिज कर दिया
जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज ने याचिका को खारिज कर दिया। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की इस दलील पर गौर किया कि इस मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में पहले ही एक याचिका दायर की जा चुकी है और मौजूदा याचिका की शीर्ष अदालत में सुनवाई नहीं की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने भगदड़ को दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार देते हुए याचिकाकर्ता और अधिवक्ता विशाल तिवारी को इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख करने को कहा।
दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया
प्रयागराज में भगदड़ की घटना के एक दिन बाद 30 जनवरी को शीर्ष अदालत में यह जनहित याचिका दायर की गई थी। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत तिवारी द्वारा दायर याचिका में भगदड़ की घटनाओं को रोकने और अनुच्छेद 21 के तहत समानता एवं जीवन के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से शीर्ष अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को गई जानकारियां दी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि हादसे की न्यायिक जांच शुरू की गई है।
याचिकाकर्ता की प्रमुख मांगें
वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर कर वहां पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के अलावा सभी राज्यों के फैसिलिटेशन सेंटर, मेडिकल स्टाफ, इलेक्ट्रॉनिक मैसेजिंग आदि व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि यह किसी एक राज्य का इवेंट नहीं है, सारे राज्यों से लोग प्रयागराज जा रहे हैं तो इस इवेंट को लेकर सभी राज्यों की सामूहिक जिम्मेदारी हो। याचिका में मांग की गई थी, “पूरे शहर में डिस्प्ले और अनाउंस बोर्ड हिंदी में लगे हैं, जबकि देश के हर राज्य से श्रद्धालु आ रहे हैं। उनमें से ज्यादातर लोग हिंदी को बेहतर तरीके से नहीं समझ पाते। ऐसे में कोई आपातकालीन अनाउंसमेंट को समझने में उन लोगों को दिक्कत होगी। इसके लिए अन्य भाषाओं में इसका भी समाधान किया जाए, ताकि श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो।