Taj mahal Dispute: ताजमहल या तेजोमहालय के विवाद में बुधवार को लघुवाद न्यायालय में सुनवाई होनी है। इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा नकल मांगने का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया है। इस सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी को वादी बनाए जाने की प्रार्थना पर फैसला लिया जा सकता है। इस विवाद में योगी यूथ ब्रिगेड के अधिवक्ता ने सैय्यद इब्राहिम के वादी बनने की आपत्ति की थी। मामला तब से गरमाया हुआ है जब 23 जुलाई 2024 को सावन माह में ताजमहल में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की गई थी।
सावन में जलाभिषेक की मांग
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब योगी यूथ ब्रिगेड के अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने Taj mahal में सावन के माह में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की थी। 23 जुलाई 2024 को अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने यह मांग कोर्ट में रखी थी। इसके बाद से ही इस विवाद में लगातार सुनवाई चल रही है। मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने अदालत में खुद को वादी बनाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। उनका आरोप है कि कुछ लोग ताजमहल को लेकर विवाद उत्पन्न कर रहे हैं, जिससे आगरा और ताजमहल की छवि खराब हो रही है।
पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप
सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने अदालत में यह भी कहा कि Taj mahal को लेकर अफवाहों और अव्यवस्थाओं के कारण आगरा के पर्यटन कारोबार को नुकसान हो रहा है। वहीं, एएसआई के अधीक्षक डॉ. राजकुमार पटेल ने भारत सरकार को प्रतिवादी बनाने की मांग की थी। उनका कहना था कि यह मामला सरकारी अधिकारियों के खिलाफ दायर किया गया है। वादी पक्ष ने दावा किया कि ताजमहल दरअसल एक हिंदू मंदिर था, जिसे मुगलों ने अपना महल बना लिया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ताजमहल का मुख्य मकबरा हिंदू मंदिरों के जैसे प्रतीक चिन्हों से सज्जित है, जिनमें त्रिशूल और कलश शामिल हैं।
Taj mahal था शिव मंदिर
वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि Taj mahal सन् 1212 में राजा परमर्दिदेव द्वारा बनवाया गया एक विशाल शिव मंदिर था, जिसे बाद में मुगलों ने हड़प लिया और वहां मुमताज की कब्र बना दी। उन्होंने यह भी कहा कि ताजमहल में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की परंपरा को कायम रखा जा सकता है, क्योंकि वहां मस्जिद और उर्स होते हैं। इस मामले में न्यायालय को जल्द फैसला लेना है।