Ashish Patel promotions controversy: उत्तर प्रदेश में प्राविधिक शिक्षा विभाग में पदोन्नतियों को लेकर विवाद गहरा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में शामिल कैबिनेट मंत्री और अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष Ashish Patel पर अपने विभाग में घूस लेकर प्रमोशन देने के आरोप लगाए गए हैं। सिराथू विधायक पल्लवी पटेल ने इन नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया है। पल्लवी पटेल का कहना है कि मौजूदा सेवा नियमावली को नजरअंदाज कर पुरानी नियमावली के तहत भर्ती की गई, जिससे घोटाला हुआ। इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की उनकी योजना है, और साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार पर 50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा है।
पल्लवी पटेल का आरोप और विधानसभा में मुद्दा उठाने की तैयारी
अपना दल (कमेरावादी) की नेता और सिराथू की विधायक पल्लवी पटेल ने प्राविधिक शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाले का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से उत्तर प्रदेश चयन सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती होनी चाहिए थी, लेकिन पदोन्नति के आधार पर भर्ती किए गए लोगों को विभागाध्यक्ष बना दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेजों में सीधी भर्ती की बजाय प्रमोशन से पद भरे गए, जो मौजूदा नियमों के खिलाफ है। पटेल ने यह भी दावा किया कि इस भर्ती प्रक्रिया में हर अभ्यर्थी से उगाही की गई, जिससे सरकार पर 50 करोड़ रुपये का वार्षिक बोझ पड़ा।
Ashish Patel का पलटवार, सीबीआई जांच की मांग
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, Ashish Patel ने फेसबुक पर पोस्ट कर कहा कि यह आरोप राजनीतिक साजिश का हिस्सा हैं। पटेल ने मुख्यमंत्री से मामले की सीबीआई जांच कराने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदेश दें, तो वह एक सेकंड में मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने दावा किया कि उनका मंत्री पद लेने का कोई उद्देश्य नहीं था, और वे अपने द्वारा किए गए सभी निर्णयों की सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं। इसके अलावा, पटेल ने यह भी कहा कि यह साजिश उनके खिलाफ की जा रही है, और आगे और भी ऐसे आरोप लगाए जाएंगे।
सोशल मीडिया में बढ़ी प्रतिक्रियाएं
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया में भी जमकर चर्चा हो रही है। कई पोस्टों में यह आरोप लग रहे हैं कि इस मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एआईसीटीई के नोटिफिकेशन का उल्लंघन किया गया। इसके साथ ही, कुछ यूजर्स ने यह भी कहा कि प्रमोशन से विभागाध्यक्ष बनाए गए व्यक्तियों को सीधी भर्ती के मुकाबले आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया।