प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। Penance of Hatha Yogis in Prayagraj Mahakumbh 2025 उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का शंखनाद होगा, जो पूरे 45 दिनों तक चलेगा। उससे पहले संगम के तट पर साधू-संतों के आने का सिलसिला जारी ह। अखाड़ों के साथ पहुंचे हठयोगियों ने महाकुंभ की रौनक बढ़ा दी है। ये हठयोगी अपने अनोखे तप और असाधारण साधना से श्रद्धालुओं और आगंतुकों का ध्यान खींच रहे हैं। इनमें नौ ऐसे हठयोगी हैं, जिनकी चर्चा संगमनगरी के अलावा देशभर में हो रही है। इन हठयोगियों में कोई 11 साल से लगातार खड़ा है तो कोई सिर पर 45 किलो रुद्राक्ष लिए हुए है, तो कोई ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे तप में लीन है। इतना ही नहीं कुछ ऐसे हठयोगी हैं, जो ई रिक्शा को कुटिया में तब्दील कर तपक रहे हैं। महाकुंभ में आए इन हठयोगियों की तपस्या और दृढ़ संकल्प वाकई अचंभित कर देने वाले हैं।
संत का 9 साल से एक हाथ ऊपर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से संगम के तट पर मकर संक्रांति के स्नान के साथ ही महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी। 45 दिन तक चलने वाले महाकुंभ में अब एक-एक कर अखाड़े का पहुंचना जारी है। इन अखाड़ों में एक से बढ़कर एक हठयोगी पहुंच चुके हैं और अपनी धूनी रमा रहे हैं। ऐसे ही एक नागा संन्यासी महंत महाकाल गिरी यूपी के झांसी से आए हैं, जो महाकुंभ मेले के अखाड़ा नगर में हठयोग करते नजर आ रहे हैं। इन्होंने पिछले 9 सालों से अपने बाएं हाथ को ऊपर उठा रखा है। उंगलियों के नाखून कई इंच तक लंबे हो गए हैं। महंत अपने सभी कार्य एक हाथ से करते हैं। एक हाथ से ही उन्होंने कुटिया के बाहर रेत से शिवलिंग बना रखा है। संन्यासी महंत महाकाल गिरी ने का संकल्प है कि धर्म की स्थापना हो, गौ हत्या बंद हो और गौ रक्षा हो। इसके अलावा पशु पक्षियों को भी संरक्षण मिले।
एक पैर पर खड़े हैं महाराज जी
आवाहन अखाड़े के दूसरे हठयोगी खडेश्वर महाराज हैं। इनका हठयोग ऐसा है कि इन्होंने अपने पांव को जमीन से हटाया ही नहीं। पिछले 11 साल में पैर को कभी जमीन से ऊपर नहीं उठाया। यह कभी बैठे ही नहीं, यह कभी सोए ही नहीं। इन हठयोगी ने पिछले कई साल से अपने हठयोग से खुद को खड़ा रखा है। बगल में सहारे के लिए टीन का एक ड्रम रखा है, उस पर एक गड्ढा रखा है.। कई साल से खड़े हैं। इस हठयोग का कारण पूछने पर धर्म कल्याण को लेकर वजह बताते हैं, इनके पैर सूजकर पत्थर जैसे हो चुके हैं. पैर में घाव भी हैं। संत बताते हैं कि उन्होंने मानव कल्याण को लेकर तपस्या शुरू की है। सनातन पूरी दुनिया में जाए, इसके लिए वह अपने मिशन में जुटे हैं। महाकुंभ को लेकर वह बहुत खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि सरकार ने बहुत अच्छी व्यवस्थाएं कराई हैं। संत गदगद हैं।
महाराज जी सिलेंडर से ले रहे सांस
इसी अखाड़े में एक और हठयोगी हैं इंद्रगिरी. पिछले 4 साल से ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए ही सांस ले रहे हैं। धूनी नहीं रमा सकते, क्योंकि इनके फेफड़े खराब हो चुके हैं, लेकिन हठयोग नहीं छूटता. बड़े सिलेंडर के साथ ऑक्सीजन की पाइप लगी है। कुंभ में पहुंचे हैं. इंद्र गिरी कहते हैं कि सब ठीक है और इसी तरीके से शाही स्नान भी करेंगे। भगवान का भजन भी करेंगे और जन कल्याण के लिए यह हठयोग भी जारी रहेगा। डॉक्टर ने कुछ साल पहले जवाब दे दिया था, क्योंकि फेफड़े खराब हो गए थे, ऑक्सीजन लिए चलते हैं और इस ठंड में भी ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए अखाड़े में बैठे हैं। हठयोगी ने आगे बताया कि, जनकल्याण और हिंदुत्व के लिए यह हठयोग है। यह हठयोग उन्होंने अपने गुरु से सीखा है।
28 सालों तक एक पर करेंगे तप
महाकुंभ में राजेंद्र गिरी महाराज भी पहुंच चुके हैं। महाराज एक पैर पर खड़े होकर तप कर रहे हैं। उनका कहना है 28 सालों तक इसी तरह से अपनी तपस्या जारी रखेंगे। महाराज जी ने बताया, विश्व में शांति बनी रहे, देश का कल्याण हो इसलिए यह ऐसी तपस्या कर रहे हैं। यह जूना अखाड़ा में रहते हैं। जब कोई नित्य क्रम करना होता है तो दोनों पैरों का सहारा लेते हैं अन्यथा एक पैर पर ही खड़े रहते है और जो भी श्रद्धालु आते हैं उन्हें आशीर्वाद देते हैं। उन्होंने कहा, हम भोले के भक्त है भस्म लगाकर धुनी पर बैठते हैं। पूजा अर्चना करते हैं और यही मेरा हठ एक पैर पर चार महीने से शुरू किया है जिसे 28 सालों तक करने की प्रतिज्ञा की है। ईश्वर से हमें शक्ति मिलती है। पैर में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है।
ई रिक्शा वाजे बाबा जी
दिल्ली से ई-रिक्शा चलाकर महाकुंभ नगर पहुंचे ओह्म तत्सत बाबा ने ई रिक्शा को ही कुटिया बना लिया है। जहां वह महाकुंभ में रहकर साधना करेंगे।. दिल्ली से ई-रिक्शा चलाकर महाकुंभ में कल्पवास करने आए ओह्म तत्सत बाबा के पास न अखाड़ों के संतों जैसी चमक धमक है और न ही महामंडलेश्वर वाली आभा। ई-रिक्शा ही उनका शिविर है और उनकी कुटिया भी। जिसमें रहकर वह अपनी साधना करते हैं। ई-रिक्शा में ही वह खाना बनाते हैं और इसी में वह धूनी रमाते हैं। बाबा का संकल्प है रामराज्य की स्थापना हो। बाबा के ई रिक्शा को न डीजल की जरूरत है न ही पेट्रोल की। ई-रिक्शा के टॉप पर लगे भारी भरकम सोलर प्लेट से उनका ई-रिक्शा चलता है। इसी से कुटिया में रोशनी भी होती है। महाकुंभ में केसरिया रंग में रंगी ई-रिक्शा देखकर ही लोग समझ जाते हैं कि ये ई-रिक्शावाले बाबा है।
नागा साधू घड़े के पानी से करते स्नान
प्रयागराज महाकुंभ में साधु प्रमोद गिरी रोज हठ योग करते हैं। कड़ाके की ठंड में सुबह 4 बजे रोज 61 घड़ों से स्नान करते हैं। पानी भी ठंडा रहता है। वो बैठ जाते हैं और दूसरे साधु उनके ऊपर घड़े से पानी डालते हैं। साधू गिरी ने कहा कि हम नागा साधु हैं। युगों से तपस्या करना हमारा काम है। हमारे गुरुकुल में होता आया है। उसी परंपरा को लेकर हम भी आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि घड़ों से स्नान करने की रस्म आमतौर पर 41 दिनों तक चलती है, लेकिन महाकुंभ मेले में जगह और समय की कमी के कारण इसे घटाकर 21 दिन कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि 21 दिन में 108 घड़ों के जल से स्नान करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके पीछे हमारा कोई स्वार्थ नहीं है। हम लोक कल्याण के लिए ये करते हैं।
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