Unnao British era bridge: उन्नाव-शुक्लागंज के बीच स्थित 150 साल पुराना ब्रिटिश कालीन पुल मंगलवार को भोर के समय ढह गया। इस पुल का जर्जर हिस्सा, जिसमें दोनों पिलरों के बीच का भाग था, गंगा नदी में गिर गया। गनीमत रही कि पुल तीन साल पहले ही अपनी खस्ताहाल स्थिति के कारण यातायात के लिए बंद कर दिया गया था, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई। इस पुल का निर्माण अंग्रेजी शासन के दौरान 1870 के दशक में हुआ था और यह कानपुर तथा उन्नाव के बीच एक महत्वपूर्ण यातायात मार्ग था।
ब्रिटिश कालीन निर्माण और ऐतिहासिक महत्व
यह British era bridge लगभग 150 साल पुराना था और अपनी वास्तुकला के कारण ऐतिहासिक महत्व रखता था। अंग्रेजी शासन के दौरान 1870 के दशक में अवध एंड रुहेलखंड कंपनी लिमिटेड द्वारा इस पुल का निर्माण शुरू किया गया था। इसे डिजाइन जेएम हेपोल ने किया था, जबकि निर्माण कार्य एसबी न्यूटन और ई वेडगार्ड के नेतृत्व में हुआ था। इस पुल का उद्देश्य कानपुर और शुक्लागंज को जोड़ना था, जो उस समय का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग था।
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सेतु निगम ने इस करीब 125 साल पुराने पुल को लंबे समय से बंद कर रखा था, क्योंकि यह पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुका था और इसे ध्वस्त करने के लिए सरकार से सहमति बन गई थी#Kanpur @DMKanpur pic.twitter.com/635HxaPZMv
— News1India (@News1IndiaTweet) November 26, 2024
एक पुल, दो कार्य
यह British era bridge अपनी डबल-स्टोरी संरचना के लिए प्रसिद्ध था। शुरुआत में इसके ऊपरी हिस्से पर नैरो गेज रेलवे लाइन थी, जिस पर ट्रेनें चलती थीं, जबकि निचले हिस्से से हल्के वाहन और पैदल यात्री गुजरते थे। इस पुल का उपयोग 50 वर्षों तक रेलवे और सड़क यातायात के लिए किया गया। हालांकि, जैसे-जैसे यातायात बढ़ा, रेलवे के लिए एक अलग पुल बना और पुराने पुल के दोनों हिस्सों को सड़क यातायात के लिए समर्पित कर दिया गया।
अंतिम यात्रा और भावनात्मक जुड़ाव
British era bridge पुल की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में खराब हो गई थी और रखरखाव की कमी के कारण यह अब खतरनाक हो चुका था। तीन साल पहले इसे यातायात के लिए बंद कर दिया गया था, जिससे किसी भी प्रकार की दुर्घटना का खतरा टल गया। इस पुल की घटना ने स्थानीय निवासियों को गहरा आघात पहुंचाया है, क्योंकि यह सिर्फ एक यातायात मार्ग नहीं, बल्कि उनके इतिहास और पहचान का हिस्सा था। इस पुल के ढहने से लोग भावुक हो गए हैं और कई लोग इस ऐतिहासिक धरोहर के लिए शोक व्यक्त कर रहे हैं।
कई फिल्मों की शूटिंग भी इस पुल पर हुई थी, जिससे यह और भी प्रसिद्ध हो गया था। अब यह पुल इतिहास बनकर रह गया है, लेकिन इसके अवशेष गंगा के पानी में हमेशा एक याद के रूप में मौजूद रहेंगे।