UP electricity workers protest: उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने 29 मई से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को फिलहाल स्थगित कर दिया है, लेकिन निजीकरण के खिलाफ उनका आंदोलन और तीव्र होगा। भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को राहत देने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। हालांकि, प्रदर्शन और विरोध जारी रहेंगे। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने पूरे देश में प्रदर्शन का आह्वान किया है। यदि पूर्वांचल या दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की कोई प्रक्रिया शुरू की गई, तो सीधी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। संघर्ष समिति ने चेयरमैन पर जनविरोधी फैसले थोपने और कर्मचारियों को धमकाने का आरोप लगाया है।
कार्य बहिष्कार स्थगित, प्रदर्शन रहेगा जारी
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मंगलवार को बैठक कर यह निर्णय लिया कि निजीकरण विरोधी आंदोलन को तेज किया जाएगा लेकिन 29 मई से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को स्थगित रखा जाएगा। समिति ने बताया कि पिछले 181 दिनों से कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसके चलते अब तक पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का टेंडर नहीं हो पाया है।
वहीं, नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने एलान किया है कि 29 मई को देश के सभी जिलों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन होगा। अगर यूपी सरकार निजीकरण की ओर कोई कदम उठाती है, तो पूरे देश के 27 लाख बिजलीकर्मी सड़क पर उतरेंगे।
चेयरमैन पर भड़के इंजीनियर, मीटिंग का बहिष्कार
संघर्ष समिति ने UP पॉवर कॉरपोरेशन चेयरमैन पर आरोप लगाया है कि उनके धमकी भरे बयानों से ऊर्जा निगमों में गहरा असंतोष है। मंगलवार शाम चेयरमैन द्वारा बुलाई गई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग का अभियंताओं ने बहिष्कार कर दिया। समिति का आरोप है कि चेयरमैन अब कर्मचारियों का वेतन और पदोन्नति वेतनमान रोकने की धमकी दे रहे हैं, जो कि औद्योगिक अशांति को जन्म दे रहा है।
समिति ने यह भी कहा कि चेयरमैन हड़ताल का वातावरण खुद बना रहे हैं, जबकि कर्मचारियों की ओर से कोई हड़ताल नोटिस तक नहीं दी गई। पिछले छह महीने में तीसरी बार ग्रिड और अन्य विभागों के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर शासन को गुमराह किया गया है।
बिजलीकर्मियों का स्पष्ट संदेश, कोई छेड़छाड़ नहीं सहेंगे
UP संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि यदि बिजली कर्मियों के वेतनमान या सेवा शर्तों में कोई छेड़छाड़ की गई, तो तीखी प्रतिक्रिया दी जाएगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रबन्धन की होगी। संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान उपभोक्ताओं की समस्याओं को अटेंड किया जाएगा, और अस्पताल, रेलवे, जल आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं में कोई व्यवधान नहीं आने दिया जाएगा।
UP संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने एलान किया कि पॉवर कारपोरेशन की सभी बैठकों का बहिष्कार किया जाएगा और किसी जनविरोधी निर्णय का पालन नहीं किया जाएगा। निजीकरण के विरुद्ध यह संघर्ष अब और अधिक तीव्रता के साथ जारी रहेगा।