UP By Election मिल्कीपुर पर शुरु हुआ सियासी संग्राम, अखिलेश यादव के ट्वीट से मचा बवाल

बाबा गोरखनाथ ने याचिका वापस लेकर मिल्कीपुर के उपचुनाव का रास्ता तो साफ कर दिया लेकिन उसके बाद भी बयानबाजी नहीं थमीं। सवाल उठता है कि एक कानूनी पेंच को सियासी हार जीत से जोड़कर क्या अखिलेश मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

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UP By Election: यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने यूपी की 9 सीटों पर भी शेड्यूल का ऐलान किया, जबकि अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर चुनावी तारीखों की घोषणा नहीं की। इसके पीछे वजह बनी पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ की एक याचिका जो हाईकोर्ट में लम्बित थी। लेकिन मिल्कीपुर सीट पर UP By Election  चुनावी तारीख का ऐलान ना होने को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक पोस्ट ने सियासत गरमा दी। अखिलेश ने पोस्ट में बीजेपी पर इशारों में तंज कसा जिसके बाद वार पलटवार शुरु हो गया।

राजनीति में परसेप्शन बहुत काम आता है, एक बार अगर किसी के खिलाफ संदेश चला गया तो यकीन मानिए उसके लिए मुश्किलें बढ़नी तय हैं। अखिलेश ने इसी रणनीति के तहत मौके पर चौका मारा, जब चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर सीट पर चुनावी तारीख का ऐलान नहीं किया। चुनाव आयोग ने यूं तो एक याचिका के चक्कर में यहां चुनाव की घोषणा नहीं की लेकिन अखिलेश ने इसे बीजेपी पर हमले का हथियार बना लिया। और एक्स पर पोस्ट करके लिखा, ‘जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है’।

यह एक लाइन ही बीजेपी को बेचैन करने के लिए काफी थी क्योंकि अखिलेश ने इशारों इशारों में ही सही, मिल्कीपुर सीट पर चुनावी तारीख ना घोषित होने को बीजेपी के डर से जोड़ दिया। वैसे इसका असर भी हुआ, जिस बाबा गोरखनाथ ने हाईकोर्ट में याचिका डाली थी, पहली फुर्सत में लखनऊ पहुंचे और याचिका वापस ले ली। वैसे भी इस याचिका का कोई मतलब रह नहीं गया था क्योंकि ये मिल्कीपुर से पूर्व विधायक और अब अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के निर्वाचन के खिलाफ थी, जो पहले ही विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं।

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मिल्कीपुर सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है तो वहीं सपा के लिए प्रदर्शन दोहराने की चुनौती जैसी है। ऐसे में सपा ने जब चुनावी तारीख के ऐलान ना होने को सियासी रंग दिया तो सहयोगी कांग्रेस ने भी सुर में सुर मिलाया है। मिल्कीपुर को लेकर जारी सियासी बयानबाजी के बीच एनडीए के नेताओं ने भी पलटवार किया।

कुल मिलाकर मिल्कीपुर की सीट इस UP By Election  में सबसे हॉट सीट बनी हुई है जिस पर काबिज होना सपा और बीजेपी दोनों के लिए ही साख का सवाल बन गया है। सपा के लिए इसलिए क्योंकि उसे ये साबित करना है कि अयोध्या की जनता ने बीजेपी को नकार दिया है। तो वहीं बीजेपी के लिए इसलिए क्योंकि उसे ये साबित करना है कि सपा की अयोध्या में लोकसभा सीट पर जीत एक तुक्का भर थी। यही वजह है कि मिल्कीपुर सीट की कमान खुद सीएम योगी ने संभाल रखी है। सवाल बड़ा ये कि एक कानूनी मसले को राजनीतिक रंग देकर समाजवादी पार्टी दूसरे को डरा हुआ साबित करना चाहती है या फिर खुद ही डरी हुई है।

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