UP Mass Marriage Scheme: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में बड़े बदलाव किए गए हैं ताकि योजना में हो रही गड़बड़ियों पर काबू पाया जा सके। अब दूल्हा-दुल्हन का विवाह मौके पर ही ऑन-स्पॉट पंजीकृत किया जाएगा। इसके अलावा, जिले में विवाह पंजीकरण का काम एडीएम स्तर के अधिकारी को सौंपा जाएगा, जो इस प्रक्रिया की जिम्मेदारी संभालेंगे। 100 से अधिक जोड़ों की सामूहिक शादी के कार्यक्रम में जिलाधिकारी (डीएम) की मौजूदगी अनिवार्य होगी, साथ ही पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की जाएगी। इसके साथ ही बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था भी शुरू की गई है। यदि किसी जोड़े ने पहले शादी की है और दोबारा शादी करता है तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। इन कदमों का मकसद योजना के तहत मिलने वाले लाभों की वैधता सुनिश्चित करना है।
सामूहिक विवाह योजना में सख्ती से कम हुई धोखाधड़ी
UP सरकार ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में धोखाधड़ी को रोकने के लिए कई अहम बदलाव किए हैं। अब तक 923 अपात्र विवाहित जोड़ों को योजना से बाहर किया जा चुका है। पिछले वर्षों में बलिया, सुल्तानपुर और गोरखपुर जैसे जिलों में फर्जी जोड़ों की पहचान हुई है, जिसमें गोरखपुर में एक भाई-बहन की भी फर्जी शादी कराई गई थी। दलालों द्वारा विवाहित जोड़ों को फर्जी दूल्हा-दुल्हन बनाकर भेजने का मामला भी सामने आया। ऐसे मामलों की जांच के लिए योजना में कड़ी निगरानी और कागजी कार्रवाई को कड़ा किया गया है।
आधिकारिक प्रक्रिया में बदलाव और योजना का व्यापक प्रभाव
अब विवाह पंजीकरण कार्य एडीएम स्तर के अधिकारी द्वारा नियंत्रित होगा, जिससे शादी के दस्तावेजों की जांच और सत्यापन बेहतर होगा। जब सामूहिक विवाह कार्यक्रम में 100 से अधिक जोड़े शामिल होंगे, तो जिलाधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य होगी, ताकि प्रशासनिक निगरानी मजबूत हो। साथ ही, पूरे कार्यक्रम का वीडियोग्राफी रिकॉर्ड रखा जाएगा, जो पारदर्शिता बढ़ाने में मदद करेगा। वर्ष 2017-18 से अब तक कुल 4,77,680 जोड़ों की शादी कराई जा चुकी है, जिसमें UP सरकार ने लगभग 2378 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। नए नियमों से इस योजना की साख और प्रभावशीलता दोनों में सुधार की उम्मीद है।