2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में चटक हो रहा धर्म की सियासत का रंग

2027 चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में धर्म की राजनीति चरम पर है। अखिलेश यादव की मस्जिद बैठक, कांवड़ यात्रा विवाद और बृजभूषण शरण सिंह द्वारा राहुल गांधी को रामकथा में बुलावा – इन घटनाओं ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है।

UP Election 2027

UP Election 2027 आशुतोष अग्निहोत्री/नॉएडा: उत्तर प्रदेश में धर्म की सियासत एक गर्मा-गर्म मुद्दा बना हुआ है, खासकर हाल की कुछ घटनाओं के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की एक मस्जिद में बैठक ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इसी बीच गोंडा के पूर्व (UP Election 2027) सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने रामकथा का नया बिगुल फूंक दिया है. तीन साल के लंबे समय के बाद योगी से मिले बृजभूषण शरण सिंह ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को रामकथा में बुलावा भेजा है. कथा का आयोजन अगले साल जनवरी में होगा, लेकिन धार्मिक तापमान अभी से चरम पर है…

सीएम योगी की कावड़ पूजा का विरोध, अखिलेश की मस्जिद में बैठक

बीजेपी खुलकर धर्म की सियासत करती है, यह उसकी कमजोरी भी है और मजबूती भी, यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ खुले मंच से अक्सर इसका एलान कर ही देते हैं. सावन मास में कांवड़ यात्रा में जिस तरह से उन्होंने पूरे प्रदेश में कांवड यात्रा की सुरक्षा और कांवड़ियों के स्वागत के लिए माहौल बनवाया वह लोगों को नई ऊर्जा देने वाला रहा. हालांकि विपक्ष को भी विरोध करने का मौका मिल गया, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांवड़ यात्रा और दुकानदारों की पहचान के मुद़दे को भुनाने का पूरा प्रयास किया. मुस्लिमों के साथ भेदभाव व सरकार की मंशा पर सवाल उठाकर उन्होंने मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण को लेकर पूरी कोशिश की. हालांकि उनके अति उत्साह ने यूपी में एक नए विवाद को जन्म दे दिया..

शिवरात्रि पर मस्जिद में बैठक महज संयोग नहीं

अखिलेश यादव ने रामपुर से सपा सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी की मेजबानी में एक मस्जिद में बैठक की, जिसमें सम्भल से सांसद डॉ. जियाउर्रहमान बर्क समेत कई अन्य नेता शामिल हुए। इस बैठक को लेकर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई है, जबकि सपा नेताओं का कहना है कि यह एक धार्मिक चर्चा थी, न कि राजनीतिक बैठक। हालांकि सपाइयों की सफाई किसी को रास नहीं आ रही. दरअसल महाशिवरात्रि से पहले कांवड़ यात्रा को लेकर सपाइयों ने विरोध खूब किया. पहले सरकार की मंशा पर सवाल उठाए फिर कांवड़ियों की मंशा पर. लेकिन महाशविरात्रि वाले दिन अखिलेश मंदिर में न जाकर मस्जिद में मीटिंग करने क्यों पहुंच गए, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. वरिष्ठ पत्रकार अखिल दीक्षित कहते हैं कि….
अखिलेश यादव परिपक्व नेता हैं, वह जो भी कदम उठाते हैं. सोच समझकर उठाते हैं. मस्जिद में जाना संयोग नहीं है यह पूरी तरह से रणनीति बनाकर किया गया है. इसका उद़देश्य सीधे तौर पर मुस्लिमों में एक संदेश देने की कवायद है..

उपमुख्यमंत्री और उलमा की प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की मस्जिद में बैठक पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा (UP Election 2027) कि सपा का चरित्र हमेशा से हिंदू विरोधी रहा है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव और सपा तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं और मस्जिद में मौलाना के साथ बैठकर दिखाने की कोशिश करते हैं कि वे मुसलमानों के साथ हैं।

देवबंदी उलमा की प्रतिक्रिया

देवबंदी उलमा ने भी अखिलेश यादव की मस्जिद में बैठक पर रोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि मस्जिद को सियासी मंच बनाकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया गया है। मस्जिद अल्लाह का घर है, इबादत की जगह है, इसे सियासी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करना शरीयत के सरासर खिलाफ है.

बढ़ते धर्मांतरण के मामले और सियासी लाभ

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। छांगुर गैंग का मामला पूरे देश में सुखिर्यों में है. सुल्तानपुर में एक हिंदू लड़की का धर्मांतरण कराने का मामला सामने आया है, जहां इमरान नाम के युवक ने लड़की का ब्रेनवॉश कर धर्म परिवर्तन करा दिया। इसी तरह के मामले आगरा, अलीगढ़, शाहजहांपुर और लखनऊ में भी सामने आए हैं। शुक्रवार को कुशीनगर में भी इसी तरह का मामला सामने आया.. वहां एक महिला और उसके साथियों को धर्मांतरण के आरोप में गिरफ़तार किया गया है. अब बीजेपी इन सब मामलों को मुददा बनाकर विपक्ष पर मुस्लिम परस्ती का आरोप लगा रही है..

वोटबैंक की असल लड़ाई

असल में यह सब खेल वोटबैंक की लड़ाई के लिए हो रहा है. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को बाखूबी पता है कि उन्हें (UP Election 2027) सवर्ण वोट नहीं मिलेगा, इसीलिए वह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले से ही पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) के बहाने अन्य जातियों को साधना शुरू कर दिया. लोकसभा में उन्हें इसका फायदा भी मिला और सपा यूपी में 37 सीटें जीतने में कामयाब रही. यूपी में लगभग खत्म हो चुकी कांग्रेस को भी इस गठजोड़ का फायदा मिला और वह शून्य से सात पर पहुंच गई. अब 2027 के चुनाव से पहले सपा सत्ता में वापसी और कांग्रेस मजबूत भागीदारी के लिए उतावली है. बीजेपी को घेरने के लिए अब दोनों ही पार्टियों का मुख्य फोकस मुस्लिम वोटर्स हैं.. बीजेपी के लिए यही मुफीद हो रहा है और वह विपक्ष पर मुस्लिम परस्ती का ठप्पा लगातार लगा रही है…

जनवरी तक यूं ही बढ़ेगा तापमान

पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह जनवरी 2026 में नंदिनीनगर में रामकथा करवा रहे हैं. उन्होंने यूपी और देश के कई नेताओं के साथ राहुल गांधी को भी न्यौता भेजा है. राहुल गांधी अब तक रामलला के यहां अयोध्या तक नहीं गए हैं.. अब वह रामकथा में शामिल होंगे या नहीं यह तो वक्त बताएगा लेकिन फिलहाल चर्चाओं का माहौल जरूर गरम हो गया है…

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