लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। वृंदावन में प्रेमानंद महाराज जी के दरवार में नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन, क्रिकेटर्स से लेकर आमभक्त आकर उनके दर्शन करते हैं और प्रवचन सुनते हैं। महाराज जी 10 फरवरी को भक्तों से मिल रहे थे, तभी मेरठ जिले में थानाध्यक्ष के पद पर तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मुनेश सिंह अपने परिवार के साथ प्रेमानंद महाराज की शरण में पहुंचे। उन्होंने हाथ जोड़कर प्रणाम किया। इस मौके पर इंस्पेक्टर ने अपनी जिंदगी से जुड़ी कहानियां संत के समक्ष बयां की और कुछ प्रश्न किए। जिसके उत्तर प्रेमानंद जी महाराज ने यूपी के सिंघम को दिए।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मेरठ में बतौर थानाध्यक्ष के पद पर तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मुनेश सिंह अपने परिवार के साथ 10 फरवरी को संत प्रमानंद जी महाराज के दरवार में पहुंचे। इस मौके पर इंस्पेक्टर ने संत के दर्शन कर आर्शीवाद लिया और कुछ प्रश्न पूछे। इंस्पेक्टर ने महाराज जी से सवाल किया किया, ‘महाराज मैं पुलिस की नौकरी करता हूं और मेरठ में थानाध्यक्ष के पद पर तैनात हूं’। मैंने अपनी 32 साल की नौकरी में कई एनकाउंटर किए हैं। 1 मुठभेड़ के दौरान मुझे भी गोली लग गई थी। मेरे मौत की खबर भी जारी हो गई थी। लेकिन भगवान की कृपा से मैं बच गया। इंस्पेक्टर ने आगे कहा कि तभी से मेरा मन विचलित रहता है, मेरा पश्चाताप क्या होगा।
भागवत मार्ग की ओर भी प्रशस्त होना चाहिए
इंस्पेक्टर के सवाल का संत प्रेमानंद महाराज ने जवाब दिया। उन्होंने थानाध्यक्ष मुनेश सिंह को सलाह दी कि वे कुछ समय निकालकर भगवान के ध्यान में दिया करें। भगवान से प्रार्थना करें कि नौकरी के दौरान उनसे जो चूक हुई हैं, उन्हें क्षमा किया जाए, पाप मिले हैं वो दूर हो जाएं। प्रेमानंद जी महाराज ने इंस्पेक्टर से पूछा कि आपको कितना समय हो गया पुलिस की सेवा में तो उन्होंने बताया कि 32 साल। इस पर संत ने कहा कि आपको दूसरा जन्म दिया है, इसलिए आपको भागवत मार्ग की ओर भी प्रशस्त होना चाहिए।
अब शेष जीवन भगवान को दीजिए
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि हमें अपने कर्तव्य निभाते हुए प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिये कि हम मनुष्य योनि के नीचे ना जाएं। आधा जीवन तो आपने वैसे ही देश के नाम कर दिया। अब शेष जीवन भगवान को दीजिए। अपने समाज में रहकर आप रिटायर भी रहेंगे। जिसकी स्वभाव अच्छा होता है वो समाज में भी अच्छा वातावरण बनाता है। प्रेमानंद महाराज ने मुनेश सिंह को कालयवन और भगवान मुचकुंद की कथा का प्रसंग सुनाया और बताया कि इस प्रसंग से हम आपको उत्तर दे रहे हैं।
महाराज जी ने सुनाई कथा
प्रेमानंद जी महारान ने कहा, ‘जब कालयवन के द्वारा भगवान को ललकार मिली तो वह रण छोड़कर भाग गए। कालयवन को पीछे दौड़ाया और मुचकुंद जी की गुफा में ले गए। वहां मुचकुंद दी को अपना पीतांबर ओढ़ाया। मुचकुंद जी को यह वरदान था कि अगर कोई तुम्हें सोते हुए जगाएगा तो दृष्टि पड़ते ही वो भस्म हो जाएगा। कालयवान ने लात मारा। मुचकुंद जी ने आंख खोला तो कालयवन भस्म हो गया। प्रेमानंद महाराज ने कहा, इसके बाद वासुदेव मुचकुंद जी के सामने आए और पूरी वार्ता हुई।
भगवान की प्राप्ति भी कर सकते हैं
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा भगवान ने कहा कि तुम इस जन्म में मुझे प्राप्त नहीं कर सकते, क्योंकि तुम राजा हो और तुमने बहुत वध किए। शिकार में पशुओं और युद्ध में इंसानों को मारा। इसलिए, तुम्हें एक जन्म और लेना पड़ेगा। अब तुम ब्रह्म ऋषि कुल में जन्म लोगे और भजन करके मुझे प्राप्त करोगे। महाराज जी ने कहा कि ‘जो फोर्स में जाने वाले हैं नए लड़के, उन्हें गाइड करें। रिटायर होने के बाद भी आप सरकार की सेवा कर सकते हैं। इसके साथ ही, नाम जप और भक्ति के द्वारा भगवान की प्राप्ति भी कर सकते हैं।
तब लगी थी गोली
दरअसल, 23 जनवरी को राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी थी। जिसके कारण इंस्पेक्टर मुनेश सिंह रात को गश्त पर थे। तभी उन्हें सूचना मिली कि कुछ बदमाश कार चोरी करके भाग रहे हैं। उन्होंने बदमाशों का पीछा किया। बदमाशों ने फायरिंग की। एनकाउंटर के दौरान इंस्पेक्टर के गोली लग गई। मुनेश सिंह 11 दिन इलाज के दौरान आईसीयू में रहे। इस दौरान उनकी मौत की खबर भी चल गई। डॉक्टर्स की कड़ी मशक्कत के चलते रियल लाइफ के सिंघम कर जान बचर।
दुजाना को किया था ढेर
इंस्पेक्टर मुनेश सिंह ने 22 जनवरी 2024 को एक लाख के इनामी अपराधी राकेश दुजाना को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। मुठभेड़ के दौरान ही उन्हे ंसीने पर गोली लगी थी। इंस्पेक्टर ने बताया कि गोली लगने से वह मृत अवस्था में पहुंच गए। मेरठ में डॉक्टरों ने मना कर दिया। सभी लोग श्रद्धांजलि भी देने लगे। लेकिन पुलिस अधिकारियों ने गाजियाबाद के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया। वहां नौ घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद वह आज ठीक अवस्था में खड़े है। लेकिन अब उनका मन विचलित रहता है।
कौन हैं इंस्पेक्टर मुनेश सिंह
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मुनेश सिंह आगरा के छाता इलाके के रहने वाले हैं। वह करीब डेढ़ साल से मेरठ में तैनात हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सिपाही से की और साल 2016 में दरोगा बने। मेरठ से पहले उनकी पोस्टिंग गाजियाबाद में थी। 22 जनवरी, 2024 को उनकी बदमाश के साथ मुठभेड़ हुई, जब गोली उनके सीने में लग गई। इसके बाद उनका इलाज गाजियाबाद के कौशांबी स्थित मैक्स हॉस्पिटल में आईसीयू में 11 दिन चला। मुनेश सिंह ने 25 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं।