Ayushman Bharat Scam: उत्तर प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना में सेंध लगाने वाले जालसाजों के लिए अब खैर नहीं है। राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि गरीबों के हक पर डाका डालने वाले गिरोह के सदस्यों और उन्हें शह देने वाले अधिकारियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े रुख के बाद, पुलिस और एसटीएफ ने न केवल इन जालसाजों की गिरफ्तारी शुरू कर दी है, बल्कि अपराध की कमाई से खड़ी की गई उनकी संपत्तियों को कुर्क करने का खाका भी तैयार कर लिया है। यह कदम आम जनता के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि वे फर्जी दस्तावेजों के प्रलोभन में न आएं, क्योंकि सरकार अब डिजिटल रिकॉर्ड्स और बैंक भुगतानों के जरिए एक-एक संदिग्ध लेनदेन की कड़ाई से निगरानी कर रही है।
एसटीएफ की रडार पर बड़े सिंडिकेट और एजेंसियां
जांच में सामने आया है कि यह Ayushman Bharat Scam केवल कुछ व्यक्तियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (ISA) के अधिकारी और अस्पतालों के आयुष्मान मित्र भी शामिल हैं। एसटीएफ ने प्रतापगढ़ के मास्टरमाइंड चंद्रभान, कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के रंजीत और आईएसए के कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाए हैं। इनके पास से बरामद इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से पता चला है कि गिरोह ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 4,000 से अधिक अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाए थे।
अस्पतालों की भूमिका की गहन जांच
एसटीएफ ने अब उन Ayushman Bharat Scam अस्पतालों का डेटा खंगालना शुरू कर दिया है, जिन्होंने इन फर्जी कार्डों के जरिए इलाज किया और सरकारी कोष से भुगतान प्राप्त किया। यदि किसी भी अस्पताल की मिलीभगत पाई जाती है, तो उनके लाइसेंस रद्द करने के साथ-साथ प्रबंधन पर भी मुकदमा चलाया जाएगा। अपर पुलिस अधीक्षक (STF) विशाल विक्रम सिंह के अनुसार, सरकारी धन का दुरुपयोग करने वाले किसी भी संस्थान को बख्शा नहीं जाएगा।
जमीन कब्जाने वालों पर भी सख्त आदेश
इसी Ayushman Bharat Scam कड़ी में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भू-माफियाओं और दबंगों के खिलाफ भी जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि गरीबों की जमीन हड़पने वाले माफियाओं के खिलाफ ऐसी कार्रवाई की जाए जो मिसाल बने। प्रशासन को पैमाइश के विवादों को तुरंत हल करने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के सख्त आदेश दिए गए हैं।
यह पूरी कार्रवाई प्रदेश के नागरिकों के लिए एक संदेश है कि सरकारी योजनाओं का लाभ केवल पात्रता के आधार पर ही लें। फर्जीवाड़े के इस जाल में फंसने वाले लाभार्थियों को भी जांच का सामना करना पड़ सकता है। प्रशासन अब डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से हर उस कार्ड की पहचान कर रहा है जो संदिग्ध तरीके से अप्रूव किया गया है।
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