संजय निषाद का बयान और ओपी राजभर की सफाई: यूपी में एनडीए के अंदर बढ़ती दरारें?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एनडीए के भीतर खटास बढ़ती दिख रही है। संजय निषाद के “गठबंधन तोड़ दें” बयान, पोस्टर वॉर और आरक्षण की मांगों ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ओपी राजभर की सफाई के बावजूद सहयोगी दल नाराज हैं।

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UP politics news: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एनडीए के भीतर खटास गहराने लगी है। संजय निषाद के “गठबंधन तोड़ दें” वाले बयान के बाद से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच तनातनी बढ़ गई है। निषाद पार्टी के हालिया पोस्टर वॉर, उपचुनाव में सीट न मिलने की नाराजगी और निषाद समुदाय को आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर बढ़ते दबाव ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं, ओम प्रकाश राजभर सफाई दे रहे हैं कि गठबंधन में सब कुछ ठीक है, लेकिन उनके बयान के बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही इशारा कर रही है। छोटे दल अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने में जुट गए हैं और बीजेपी पर दबाव बनाते नजर आ रहे हैं।

लखनऊ में पोस्टर वॉर से बढ़ा विवाद

लखनऊ में 25 अक्टूबर 2024 को संजय निषाद की निषाद पार्टी ने बीजेपी के UP मुख्यालय, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के आवास और राजभवन के बाहर बड़े-बड़े पोस्टर लगाए, जिनमें संजय निषाद को “सत्ताईस का खेवनहार” बताया गया। इन पोस्टरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, अमित शाह और राजनाथ सिंह की तस्वीरें भी शामिल थीं। राजनीतिक हलकों में इसे बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि उपचुनाव में सीट न मिलने से निषाद पार्टी नाराज है और यह पोस्टर उसी नाराजगी की झलक हैं।

संजय निषाद का ‘गठबंधन तोड़ दें’ बयान

अगस्त 2025 में गोरखपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संजय निषाद ने खुलकर कहा था कि अगर UP बीजेपी को लगता है कि निषाद पार्टी से कोई फायदा नहीं है, तो वह गठबंधन तोड़ सकती है। उनका आरोप था कि बीजेपी के कुछ नेता उनकी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा दिलाने की मांग दोहराई और चेतावनी दी कि बीजेपी ने अगर इसे नजरअंदाज किया, तो 2027 में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

ओपी राजभर की सफाई, लेकिन सवाल बरकरार

गठबंधन में दरार की खबरों के बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और UP सरकार के मंत्री ओपी राजभर ने बयान दिया कि “गठबंधन में सब कुछ ठीक है, ऑल इज वेल।” राजभर ने संजय निषाद की नाराजगी को उनकी बिरादरी के कुछ नेताओं की बयानबाजी से जोड़ते हुए कहा कि यह बीजेपी के खिलाफ नहीं था। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि छोटे सहयोगी दल लगातार बीजेपी पर दबाव बढ़ा रहे हैं, और आने वाले महीनों में यह खटास और गहरा सकती है।

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