UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में अगले दो वर्षों तक नए शहरी निकायों का गठन या विस्तार नहीं हो सकेगा। इसकी प्रमुख वजह UP पंचायत चुनावों के लिए ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की चल रही प्रक्रिया और आगामी जनगणना है। 31 दिसंबर 2025 के बाद जनगणना का कार्य प्रारंभ होगा, जिसके चलते किसी भी नई प्रशासनिक इकाई के गठन पर रोक लग जाएगी। यह स्थिति मार्च 2027 तक बनी रहेगी। साथ ही 2027 की शुरुआत में विधानसभा चुनावों की तैयारी भी शुरू होगी। इस कारण शहरी निकायों के गठन की संभावनाएं अब 2027 की दूसरी छमाही में ही नजर आ रही हैं। इससे पहले प्रदेश में वर्ष 2019 में अंतिम बार व्यापक निकाय विस्तार हुआ था।
पंचायत चुनावों के चलते रुकी प्रक्रिया
UP में अगले साल पंचायत चुनाव होने हैं, जिसके लिए ग्राम पंचायतों के परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बीते पांच वर्षों में शहरी निकायों का काफी विस्तार हुआ है, जिसमें कई ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगमों में शामिल किया गया। अब इन क्षेत्रों को पंचायत व्यवस्था से अलग करने और शेष क्षेत्रों का पुनर्गठन करने की आवश्यकता है। इसी कारण नए शहरी निकायों के गठन की प्रक्रिया पहले ही रोक दी गई है।
जनगणना के नियम बने अड़चन
केंद्र सरकार ने वर्ष 2026 में होने वाली जनगणना की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अनुसार 31 दिसंबर 2025 के बाद किसी भी नई प्रशासनिक इकाई का गठन नहीं किया जा सकेगा। यह प्रतिबंध 1 मार्च 2027 तक प्रभावी रहेगा। वर्ष 2027 में UP विधानसभा चुनाव भी प्रस्तावित हैं। इन परिस्थितियों के चलते नए शहरी निकायों के गठन की संभावनाएं अब 2027 के मई-जून के बाद ही बनेंगी।
2019 में तेजी से हुए थे निकाय विस्तार
पिछली बार जब जनगणना की तैयारी हो रही थी, तब दिसंबर 2019 में प्रदेश सरकार ने रिकॉर्ड 99 अधिसूचनाएं जारी की थीं, जिनमें नगर निगमों का बड़े पैमाने पर विस्तार किया गया था। प्रयागराज नगर निगम में 202 गांव और लखनऊ नगर निगम में 88 गांव शामिल किए गए थे। हालांकि, कोविड महामारी के चलते जनगणना प्रक्रिया स्थगित कर दी गई थी, जो अब 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगी।
पहले होगी प्रशासनिक मैपिंग
जनगणना से पहले 1 जनवरी से प्रशासनिक मैपिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसमें 2009 और 2025 के बीच हुए भौगोलिक व प्रशासनिक बदलावों को दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही ऐसे क्षेत्रों को सेंसस टाउन का दर्जा मिलेगा, जहां 5000 से अधिक आबादी है और 75% लोग गैर-कृषि कार्यों में संलग्न हैं। इसके अलावा विशेष सुरक्षा वाले क्षेत्रों को ‘स्पेशल चार्ज’ के रूप में चिन्हित किया जाएगा।