UP RERA new rules: उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर में धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए यूपी रेरा ने नए नियम लागू किए हैं। इन नियमों के तहत बिल्डरों को अब तिमाही रिपोर्ट देनी होगी और निरीक्षण शुल्क में भी बदलाव किया गया है। रियल एस्टेट नियामक संस्था का यह कदम ग्राहकों के लिए सुरक्षित निवेश सुनिश्चित करने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है। यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय घोष रेड्डी ने कहा कि ये नियम बिल्डरों को जिम्मेदार ठहराने और ग्राहकों के विश्वास को मजबूत करने के लिए बनाए गए हैं। नए नियमों का पालन न करने पर बिल्डरों पर सख्त जुर्माना भी लगाया जाएगा।
तिमाही रिपोर्ट और जुर्माना
UP RERA के नए नियमों के तहत, अब सभी बिल्डरों को अपनी परियोजनाओं की तिमाही रिपोर्ट तीन महीने में एक बार रेरा को प्रस्तुत करनी होगी। यह रिपोर्ट प्रोजेक्ट की प्रगति, निर्माण कार्य और गुणवत्ता के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी। अगर कोई बिल्डर यह रिपोर्ट समय पर नहीं देता है तो उसे ₹15,000 का जुर्माना देना होगा। यदि सालभर में किसी ने कोई रिपोर्ट नहीं दी तो जुर्माना बढ़कर ₹25,000 तक हो सकता है। यह कदम ग्राहकों के लिए सुरक्षित निवेश सुनिश्चित करने और परियोजना की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
निरीक्षण शुल्क में बदलाव
इसके अलावा, UP RERA ने कुछ शुल्कों में भी बदलाव किया है। अब किसी प्रोजेक्ट के स्थलीय निरीक्षण के लिए भी शुल्क निर्धारित किया गया है। अगर परियोजना 100 किलोमीटर तक की दूरी पर है, तो निरीक्षण शुल्क ₹2000 होगा। वहीं, 100 से 200 किलोमीटर तक स्थित परियोजनाओं के लिए ₹4000 शुल्क निर्धारित किया गया है। 200 किलोमीटर से ज्यादा दूर स्थित परियोजनाओं के निरीक्षण के लिए ₹7500 शुल्क लिया जाएगा। इससे पहले यह शुल्क ₹1000 था। इसके अलावा, परियोजना के दस्तावेजों की जांच के लिए भी फीस तय की गई है। एक घंटे की जांच के लिए ₹100 और एक घंटे से ज्यादा समय होने पर प्रति घंटा ₹200 शुल्क लिया जाएगा।
नए नियमों का उद्देश्य
UP RERA के अध्यक्ष संजय घोष रेड्डी ने कहा कि नए नियमों का उद्देश्य रेरा के खर्चों को कवर करना और ग्राहक और बिल्डर के बीच विश्वास को मजबूत करना है। उनका कहना था कि इन कदमों से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहकों को अधिक सुरक्षा मिलेगी। इन नियमों का उद्देश्य न केवल बिल्डरों को जिम्मेदार ठहराना है, बल्कि ग्राहकों के निवेश को भी सुरक्षित बनाना है। नए साल से लागू होने वाले ये नियम रियल एस्टेट सेक्टर में नई दिशा देने वाले साबित होंगे।