UP News : उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक 9 वर्षीय छात्र की हत्या का मामला पुलिस ने उजागर किया है। छात्र की हत्या तंत्र-मंत्र के अंधविश्वास के चलते की गई, क्योंकि स्कूल प्रबंधक के पिता, जो एक तांत्रिक हैं, उनका मानना था कि किसी बच्चे की बलि देने से स्कूल की प्रगति होगी।
अपराध के बाद, प्रबंधक ने छात्र के शव को अपनी कार में रखकर ठिकाने लगाने की कोशिश की। इसी बीच, परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने उसे पकड़ लिया और उसकी गाड़ी से छात्र का शव बरामद किया। पुलिस ने इस मामले में प्रबंधक और उसके पिता सहित 5 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।
कृतार्थ के परिवार(UP News) ने हत्या की जांच में तेजी लाने की मांग को लेकर एसपी कार्यालय का घेराव किया। इस दौरान, बड़ी संख्या में महिलाएं भी वहां उपस्थित थीं। पुलिस ने कुछ घंटों बाद ही इस घटना का खुलासा कर दिया। यह उल्लेखनीय है कि सहपऊ क्षेत्र के गांव रसगवां के डीएल पब्लिक स्कूल में कक्षा 2 का छात्र कृतार्थ, जिसका परिवार चुरसेन, थाना चंदपा में रहता है, हॉस्टल में अध्ययन कर रहा था। सोमवार सुबह, स्कूल प्रबंधक दिनेश बघेल ने कृतार्थ के परिवार को सूचित किया कि उसकी तबियत खराब है, लेकिन जब परिवार वहां पहुंचा, तो कृतार्थ उन्हें नहीं मिला।
परिवारवालों को किया गुमराह
दिनेश बघेल से जब छात्र कृतार्थ के बारे में पूछा गया, तो उसने परिजनों को गुमराह करते हुए यह कहा कि वह कृतार्थ को इलाज के लिए ले जा रहा है। कुछ समय बाद, परिजनों ने सादाबाद के निकट उसे उसकी कार के साथ पकड़ लिया। कार की पिछली सीट पर कृतार्थ का शव पड़ा हुआ था।
पुलिस(UP News) ने शव को तुरंत पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कृतार्थ के पिता, श्रीकृष्ण ने स्कूल प्रबंधक दिनेश बघेल और अन्य पांच व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि कृतार्थ की हत्या गला दबाकर की गई थी, और उसकी गर्दन पर चोट के निशान भी पाए गए थे।
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पिता के कहने पर हुई हत्या
पुलिस के अनुसार, प्रबंधक का पिता, जशोधन, एक तांत्रिक है और वह तंत्र-मंत्र में विश्वास करता था। उसी तंत्र-मंत्र और बलि देने के अंधविश्वास के चलते उसने छात्र कृतार्थ की हत्या की। प्रबंधक दिनेश बघेल और उसके पिता जशोधन का मानना था कि तंत्र-मंत्र और बच्चे की बलि देने से उनके स्कूल और व्यवसाय में उन्नति होगी। जानकारी के अनुसार, इन दोनों ने पूर्व में भी ऐसी घटना को अंजाम देने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय वे सफल नहीं हो पाए थे। इस बार की घटना से स्पष्ट होता है कि अंधविश्वास के चलते उन्होंने घातक कदम उठाया, जिससे एक निर्दोष बच्चे की जान चली गई।