UP officer initiative TB patient lap/नोएडा/Ashutosh Agnihotri रिपोर्ट: इंसानियत एक ऐसा शब्द है जो हमें मानवता की सच्ची भावना से जोड़ता है। यह हमें दूसरों के प्रति सहानुभूति, दया, और सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती है। इंसानियत हमें सिखाती है कि हम सभी एक हैं और एक दूसरे के प्रति जिम्मेदार हैं। कानपुर के जिलाधिकारी जेपी सिंह सहित उत्तर प्रदेश के तमाम आइएएस अधिकारियों ने इंसानियत की एक अलग मिसाल पेश की है. कानपुर, श्रावस्ती, बदायूं सहित तमाम जिलों के जिलाधिकारियों ने टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत मरीजों को गोद लिया है और उन्हें पोषण किट प्रदान की है।
कानपुर में 14,456 टीबी के मरीज
कानपुर में 14,456 टीबी के मरीज हैं, जिनका इलाज भी चेस्ट होस्पिटल, निजी हॉस्पिटल में चल रहा है..सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों को शासन की ओर से एक हजार रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं.ऐसे में बहुत से गरीब टीबी के मरीज हैं जिनका इलाज नहीं हो पा रहा है. कानपुर के जिलाधिकारी ने एक पहल करते हुये 11 टीबी मरीजो को गोद लेकर इलाज शुरू कराया है.इस बीमारी को (UP TB patient lap) ठीक होने में 6 महीने का कोर्स होता है, तब तक (UP TB patient lap) डीएम गोद लिए 11 मरीज के इलाज का खर्चा निजी तौर पर उठायेंगे. डीएम जेपी सिंह ने जन प्रतिनिधि, समाजसेवी, उधमी और व्यपारियो से अपील की है कि वह भी आगे बढ़कर आयें और टीबी के मरीज को गोद लेकर इलाज कराने में मदद करें.
श्रावस्ती डीएम अजय कुमार दि्वेदी ने एक मरीज को गोद लिया
श्रावस्ती के जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी ने एक टीबी मरीज को गोद लिया और उन्हें पोषण किट प्रदान की। उन्होंने कहा कि मरीजों को गोद लेने का उद्देश्य सिर्फ पोषण सहायता प्रदान करना नहीं है, बल्कि उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेना और उपचार के लिए प्रेरित करना भी है. श्रावस्ती में कई अन्य अधिकारियों से भी मरीजों को गोद लेने की अपील उन्होंने की है.
बदायू डीएम निधि श्रीवास्तव ने भी की पहल
बदायूं में जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव ने चार क्षय रोगियों को गोद लेकर प्रोटीन युक्त पोषण पोटली किट प्रदान की। उन्होंने बताया कि टीबी के मरीजों को सरकार की तरफ से पोषण हेतु 500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं, जो सीधे उनके खाते में पहुंचाए जाते हैं।
मरीजों को पोषण प्रदान करना उद्देश्य
इस पहल का उद्देश्य UP टीबी मरीजों को आवश्यक (UP TB patient lap) पोषण और समर्थन प्रदान करना है, जिससे वे अपने उपचार को पूरा कर सकें और स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम हो सकें। सरकार की ओर से जिला क्षय रोग अस्पतालों में इसको लेकर अभियान भी चलाया जा रहा है.
टीबी (ट्यूबरक्यूलोसिस) की बीमारी
टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होती है। यह बीमारी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों जैसे कि गुर्दे, रीढ़, और मस्तिष्क में भी फैल सकती है।
टीबी के लक्षण
टीबी के लक्षणों में शामिल हैं:
– खांसी: लंबे समय तक खांसी आना, जिसमें खून आ सकता है।
– बुखार: रात में बुखार आना और पसीना आना।
– वजन कम होना: बिना किसी कारण के वजन कम होना।
– थकान: अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस करना।
– सीने में दर्द: सीने में दर्द होना, खासकर गहरी सांस लेने पर।
टीबी के कारण
टीबी के कारणों में शामिल हैं:
– संक्रमण: टीबी के जीवाणु से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से।
– प्रतिरक्षा प्रणाली: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में टीबी का खतरा अधिक होता है।
टीबी का इलाज
टीबी का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक्स (UP TB patient lap) के साथ किया जाता है। इलाज की अवधि आमतौर पर 6 महीने से 2 साल तक होती है, जो बीमारी की गंभीरता और प्रकार पर निर्भर करती है। टीबी एक इलाज योग्य बीमारी है, और समय पर इलाज से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
टीबी से बचाव
टीबी से बचाव के लिए कुछ उपाय हैं:
– वैक्सीनेशन: बीसीजी वैक्सीन टीबी से बचाव में मदद कर सकती है।
– संक्रमित व्यक्ति से दूरी: टीबी के संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना।
– स्वच्छता: अच्छी स्वच्छता और वेंटिलेशन बनाए रखना