UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में अगले साल प्रस्तावित पंचायत चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण को लेकर बड़ी तैयारियां शुरू हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जो ‘ट्रिपल टेस्ट’ के आधार पर ओबीसी आरक्षण निर्धारित करेगा। इस आयोग का मुख्य उद्देश्य पंचायतों के परिसीमन और रोटेशन के आधार पर आरक्षण के लिए उचित सिफारिश करना होगा। ओबीसी आरक्षण के अलावा अन्य वर्गों के लिए भी आरक्षण का समुचित वितरण सुनिश्चित किया जाएगा ताकि उन पंचायतों को प्राथमिकता मिले जिन्हें अब तक लाभ नहीं मिला है। इस बार की कवायद में तकनीकी और कानूनी अड़चनों को भी ध्यान में रखा जाएगा ताकि चुनाव प्रक्रिया निर्बाध रूप से पूरी हो सके।
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अहमियत और प्रक्रिया
UP Panchayat Elections विभाग ने पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण के लिए डेडिकेटेड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करने की कवायद शुरू कर दी है। इस आयोग की जिम्मेदारी होगी ‘ट्रिपल टेस्ट’ के मानकों के अनुसार ओबीसी आरक्षण के लिए उचित आंकड़ों का विश्लेषण करना और उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करना। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद यह कदम जरूरी हो गया है, क्योंकि ओबीसी आरक्षण के लिए अब पारंपरिक फॉर्मूला नहीं बल्कि एक स्पष्ट प्रक्रिया का पालन अनिवार्य हो गया है।
पंचायतों का परिसीमन और आरक्षण की रोटेशन पद्धति को लागू करने के लिए भी कार्यवाही जारी है। इससे पहले निकाय चुनावों में भी इसी तरह का आयोग बना था। वर्ष 2023 में निकाय चुनाव में हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर रोक लगाई थी, जिसके बाद सरकार ने आयोग गठित किया था। इस बार पंचायत चुनावों में ऐसी दिक्कतों से बचने के लिए पहले से ही पंचायती राज विभाग सतर्क है।
ट्रिपल टेस्ट क्या है?
ट्रिपल टेस्ट के तहत तीन मुख्य बातें जांची जाती हैं – पिछड़ेपन की प्रकृति का अनुभवजन्य आकलन, आरक्षण की जरूरत के लिए आयोग की सिफारिशों का सत्यापन, और यह सुनिश्चित करना कि कुल आरक्षित सीटें 50 प्रतिशत से अधिक न हों। इसके अलावा, ओबीसी आरक्षण के लिए एक संक्षिप्त सर्वे भी जरूरी होता है क्योंकि आरक्षण की गणना जनगणना के बजाय इस सर्वे पर आधारित होती है।
आरक्षण में समानता और न्याय का ध्यान
सूत्र बताते हैं कि इस बार UP Panchayat Elections में ओबीसी के साथ-साथ अन्य वर्गों के लिए भी आरक्षण का न्यायसंगत और समान वितरण किया जाएगा। 2021 के चुनाव में 1995 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण का प्रयास हुआ था, लेकिन कोर्ट ने 2015 के रोटेशन के अनुसार चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। इस बार इन पहलुओं पर और अधिक ध्यान दिया जाएगा ताकि उन पंचायतों को भी आरक्षण मिले जो अभी तक आरक्षित नहीं हुई हैं।
UP Panchayat Elections राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि आयोग के गठन के बाद परिसीमन के आधार पर आरक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इससे पंचायत चुनावों में ओबीसी वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा और कानूनी विवादों से बचा जा सकेगा।
यह तैयारी यूपी के पंचायत चुनावों में सामाजिक न्याय और समावेशन को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है।