DGP on Casteism in Police: उत्तर प्रदेश पुलिस ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के जातिगत पोस्टिंग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें अफवाह करार दिया है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को बिना प्रमाण के भ्रामक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में पुलिसकर्मियों की तैनाती तय मानकों और निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत की जाती है। डीजीपी ने कहा कि अगर कोई गलत जानकारी फैलाई जाएगी तो पुलिस विभाग उसका तथ्यात्मक खंडन करना अपना कर्तव्य समझता है। इस सिलसिले में आगरा, प्रयागराज, मैनपुरी और चित्रकूट की पुलिस ने आंकड़े जारी कर सपा प्रमुख को जवाब भी दे दिया है।
डीजीपी बोले- पुलिस की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष
DGP प्रशांत कुमार ने कहा कि अखिलेश यादव द्वारा लगाए गए जातिगत पोस्टिंग के आरोप न सिर्फ भ्रामक हैं बल्कि प्रदेश की पुलिस व्यवस्था की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग जिम्मेदार पदों पर हैं, उन्हें तथ्यों के बिना कोई भी टिप्पणी करने से बचना चाहिए। डीजीपी ने बताया कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही इस तरह की अफवाहों का खंडन जरूरी है ताकि आम जनता को भ्रमित न किया जा सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में भी यदि कोई गलत सूचना फैलाई जाती है तो यूपी पुलिस उसका जवाब तथ्यों के आधार पर देगी।
पुलिस कमिश्नरेट और जिलों ने जारी किए आंकड़े
डीजीपी की बात को बल देते हुए आगरा, प्रयागराज, मैनपुरी और चित्रकूट जैसे जिलों की पुलिस ने आंकड़ों के साथ सपा प्रमुख के आरोपों का खंडन किया।
- आगरा पुलिस ने बताया कि उनके यहां 39% पुलिसकर्मी ओबीसी और 18% एससी वर्ग से हैं, जबकि ओबीसी का मानक 27% है।
- मैनपुरी में 31% ओबीसी और 19% एससी पुलिसकर्मी कार्यरत हैं।
- चित्रकूट में 12 थानों में 3 थानाध्यक्ष ओबीसी, 2 एससी/एसटी और 7 अन्य वर्गों से हैं।
- प्रयागराज पुलिस ने भी कहा कि थाना प्रभारियों की तैनाती उनकी कार्यकुशलता, सत्यनिष्ठा और सामाजिक समझदारी के आधार पर की जाती है, न कि जाति के आधार पर। वहां 40% थाना प्रभारी ओबीसी और एससी/एसटी वर्ग से हैं।
यूपी पुलिस की जनता से अपील- अफवाहों से बचें
DGP प्रशांत कुमार ने कहा कि यूपी पुलिस हर स्तर पर पारदर्शिता के साथ कार्य कर रही है। ऐसे में किसी भी प्रकार की गलत जानकारी को फैलाना न केवल कानून व्यवस्था के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे जनता का विश्वास भी डगमगा सकता है। उन्होंने सभी से अपील की कि अफवाहों से दूर रहें और पुलिस प्रशासन पर अनावश्यक सवाल खड़े न करें। उन्होंने दोहराया कि पुलिस व्यवस्था में जातिगत भेदभाव का कोई स्थान नहीं है और हर तैनाती एक तय प्रक्रिया और मानकों के अनुसार की जाती है।