UP Politics: बहुजन समाज पार्टी में बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ है। पार्टी प्रमुख मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को न केवल सभी पदों से मुक्त कर दिया बल्कि उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया। इस फैसले ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है बल्कि बसपा कैडर युवाओं में भी असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। मायावती के इस सख्त निर्णय ने यह साफ संदेश दिया है कि उनके लिए रिश्तों से ऊपर पार्टी और कार्यकर्ता हैं और वह पार्टी हित के लिए किसी भी तरह का त्याग करने को तैयार हैं।
लखनऊ में हुई बैठक में मायावती ने ऐलान किया कि आकाश आनंद अब बसपा का हिस्सा नहीं रहेंगे। इसके बाद आकाश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक भावुक पोस्ट लिखा, लेकिन मायावती ने इसे स्वार्थ से प्रेरित करार दिया। इस घटनाक्रम के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या आकाश आनंद भविष्य में बसपा में वापसी करेंगे या फिर वह अपनी अलग राजनीतिक राह चुनेंगे?
क्या बसपा कैडर युवा दो गुटों में बंटेंगे?
बसपा प्रमुख के इस फैसले का सबसे बड़ा असर युवा कैडर (UP Politics) पर पड़ सकता है। आकाश आनंद को सोशल मीडिया पर युवा दलित नेता के रूप में तेजी से उभरते देखा जा रहा था। 2024 लोकसभा चुनावों में आकाश के आक्रामक तेवर और सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता ने उन्हें चर्चा में ला दिया था। कई युवा समर्थक उन्हें भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद का विकल्प मानने लगे थे। अब सवाल उठता है कि क्या मायावती के इस फैसले के बाद युवा कैडर बसपा से जुड़ा रहेगा या आकाश आनंद के समर्थन में कोई नया मोर्चा बनाएगा?
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क्या आकाश आनंद नई राह चुनेंगे?
आकाश आनंद (UP Politics) के बाहर होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह किस राजनीतिक दिशा में आगे बढ़ेंगे। क्या वह चंद्रशेखर आजाद की तरह एक अलग पार्टी बनाएंगे या फिर किसी नई राजनीतिक ताकत से हाथ मिलाएंगे? इसके अलावा क्या 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले मायावती अपने इस फैसले को बदल सकती हैं?
मायावती ने भाई आनंद कुमार पर जताया भरोसा
आकाश आनंद को पार्टी से बाहर करने के बावजूद मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार और उनके करीबी रामजी गौतम पर भरोसा बनाए रखा। इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि पार्टी में फैसले पूरी तरह मायावती के हाथ में ही रहेंगे और वह किसी भी पारिवारिक हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेंगी। अब देखना यह होगा कि बसपा के इस बड़े उलटफेर के बाद युवा कैडर किस दिशा में जाता है। क्या यह मायावती के नेतृत्व में बना रहेगा या फिर आकाश आनंद के समर्थन में कोई नया राजनीतिक विकल्प उभरेगा? फिलहाल यह विवाद बसपा की आंतरिक राजनीति और दलित राजनीति के समीकरणों में बड़े बदलाव के संकेत दे रहा है।