UP Politics: यूपी की राजनीति (UP Politics) में बुलडोजर पर क्लेश हो रखा है। CM योगी आदित्यनाथ और पूर्व सीएम अखिलेश यादव की धुआंधार बयानबाजी हुई। ऐसा बहुत कम मौकों पर होता है कि एक मुद्दे पर एक दिन में कई बार वार-पलटवार हो जाए। कोई दूसरा मुद्दा होता तो शायद इतनी तेजी से एक दूसरे पर पलटवार नहीं होता।
मुद्दा बुलडोजर का है तो सियासी कलह जोड़ों पर है। अब सवाल ये है कि इस यूपी की राजनीति (UP Politics) में बुलडोजर पॉलिटिक्स इतना अहम क्यों है? क्या ये उपचुनाव के साथ-साथ 2027 के विधानसभा की तैयारी है? या फिर CM योगी की छवि पर हमला है?
यूपी में अहम क्यों है बुलडोजर पॉलिटिक्स?
देश में बुलडोजर कानून व्यवस्था का प्रतिक बन गया है। लोगों को कोर्ट से न्याय की उम्मीद रहती थी। वो न्याय अब प्रशासन बुलडोजर चला कर देता है। अगर बुलडोजर नहीं चला तो जनता इसे चलाने की मांग करती है। क्योंकि बुलडोजर सिर्फ न्याय नहीं धार्मिक राजनीतक न्याय देता है। इसलिए ये बुलडोजर मॉडल वाला इंसाफ हिट हुआ।
इस न्याय मॉडल (UP Politics) की शुरुआत CM योगी आदित्यनाथ ने की थी। अब ये मॉडल देश के कई राज्यों में सख्त कानून व्यवस्था का प्रतिक है। किसी भी राज्य में कानून व्यवस्था चुनावी मुद्दा होता है। राज्य में कानून व्यवस्था सख्त है तो उस राज्य के मुखिया की सख्त छवि दर्शाई जाती है। फिर आम जनता उन्हें अपना मसीहा के रुप में देखते हैं। यूपी में CM योगी ऐसे ही मसीहा के रुप में जनता के बीच लोकप्रिय हैं।
क्या चल रही 2027 के विधानसभा की तैयारी?
इसी छवि और लोकप्रियता का फायदा CM योगी को पिछली विधानसभा यानि 2022 के चुनाव में मिला था। उस समय जनता कह रही थी यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है इसलिए वोट तो योगी जी को ही जाएगा। तब यूपी में दोबारा योगी की सरकार बनाने में कानून व्यवस्था यानि बुलडोडर ने अहम भूमिका निभाई थी।
नए भारत के सबसे चर्चित यंत्र बुलडोजर को जिसने भी बनाया होगा उसके अविष्कार के मूल में निर्माण कराना ही होगा, बनाने वाले ने सोचा होगा कि इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में आसानी होगी। उसने कभी यह नहीं सोचा होगा की इससे सरकार बनाने में आसानी होगी।अब बुलडोजर को कहां पता की वह निर्माण कर रही है या विध्वंश।
हां उसे चलाने वाले को जरुर पता होता होगा। ऐसा हम उम्मीद कर सकते हैं। यूपी में बुलडोजर चला कर योगी आदित्यनाथ ने सख्त छवि और सख्त कानून व्यवस्था का निर्माण किया अब इसी बुलडोजर की स्टेयरिंग पकड़ कर सपा प्रमुख अखिलेश यादव उस छवि को ध्वस्त करना चाहते हैं।
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क्या CM योगी की छवि पर हो रहा हमला?
क्योंकि बुलडोडर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी का घर सिर्फ़ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है जब वह सिर्फ आरोपी हो। कोई व्यक्ति दोषी भी है तो क़ानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।”
इस टिप्पणी के बाद अखिलेश को हथियार मिल गया कि वह जनता को बताए कि बुलडोजर से न्याय नहीं अन्याय हुआ है। अखिलेश अच्छे से जानते हैं कि बुलडोजर मॉडल का फायदा CM योगी को मिला है। इससे उनकी छवि सख्त प्रशासक और नेता के रुप में हुई है।
आने वाले उप चुनाव या विधानसभा चुनाव में बुलडोजर मॉडल की राजनीतिक जमीन को नहीं तोड़ा गया तो इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। CM योगी भी इस राजनीति से भली भांति परिचित हैं। वो जानते हैं कि उनकी सरकार बनने में बुलडोजर का अहम योगदान हैं। तभी तो यूपी की राजनीति में बुलडोजर पर जमकर राजनीति हो रही है।