Asaduddin Owaisi : देश में मंदिर-मस्जिद विवाद के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। संभल के बाद अब जौनपुर की प्रसिद्ध अटाला मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने दावा किया है कि यह मस्जिद पहले ‘अटाला देवी मंदिर’ थी और सनातन धर्म के अनुयायियों को इसमें पूजा का अधिकार मिलना चाहिए। इसे लेकर जौनपुर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। वहीं, अटाला मस्जिद प्रशासन ने इस मामले को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हाई कोर्ट यह तय करेगा कि जौनपुर कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी चाहिए या नहीं। इस मामले की सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।
क्या है ‘अटाला देवी मंदिर’ का दावा?
याचिका में कहा गया है कि अटाला मस्जिद का निर्माण पहले अटाला देवी मंदिर के स्थान पर हुआ था। इसलिए सनातन धर्म के अनुयायियों को इसमें पूजा-अर्चना करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। याचिका में संपत्ति पर कब्जे और गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की भी मांग की गई है।
जौनपुर कोर्ट का आदेश
जौनपुर कोर्ट ने इस साल अगस्त में मुकदमे की पोषणीयता को स्वीकार करते हुए सुनवाई शुरू करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने मामले को पंजीकृत करते हुए कहा था कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य है।
वक्फ अटाला मस्जिद का पक्ष
अटाला मस्जिद के वक्फ प्रशासन ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की याचिका त्रुटिपूर्ण है क्योंकि यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत एक न्यायिक व्यक्ति नहीं है। उन्होंने जौनपुर कोर्ट के फैसले को खारिज करने की मांग की है।
वक्फ अटाला मस्जिद ने यह भी दलील दी है कि अटाला मस्जिद का निर्माण 1398 में हुआ था और तभी से यह एक मस्जिद के रूप में पंजीकृत है। यहां नियमित रूप से नमाज अदा की जाती है। साथ ही, उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड को इस मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया, जिससे याचिका कमजोर हो जाती है।
Asaduddin Owaisi का बयान
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए सत्ताधारी दलों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश को इतिहास के विवादों में उलझाया जा रहा है। 14% अल्पसंख्यक आबादी पर लगातार दबाव बनाकर कोई देश महाशक्ति नहीं बन सकता। ओवैसी ने कहा कि इन विवादों के पीछे “वाहिनी”, “परिषद” और “सेना” जैसे संगठनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अटाला मस्जिद विवाद पर अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी, जिससे यह तय होगा कि जौनपुर कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी या नहीं।